hindi sahitya
शनिवार, 1 सितंबर 2012
ब्रज की रज शीश चढ़ाया करूँ / शिवदीन राम जोशी
नित्त ध्यान धरूं चित्त से हित से, उर गोविन्द के गुण गाया करूँ |
वृंदावन धाम में श्याम सखा, मन ही मन में हरषाया
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