रविवार, 16 सितंबर 2012

तू नज़रें झुका ले तो और संवर जायेगा......

जनाब अहमद फराज़ साहब के एक गज़ल का मिसरा है -: ""तू कभी खुद को भी देखेगा तो डर जाएगा"" ईस मिसरे पर मेरी एक छोटी सी कोशीश

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