बुधवार, 7 नवंबर 2012

न भूल सके इतने / शिवदीन राम जोशी

मो मन माहीं बसे मन मोहन,और बसी मन राधिका रानी,
नन्द यशोमती कौन बिसारत, गुवालन की छबि नाहीं भुलानी |
बृज की बृजबाल वे

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