रविवार, 30 दिसंबर 2012

27-ज़िंदगी का सहारा मिले न मिले

ग़ज़ल
ज़िंदगी का सहारा मिले न मिले
साथ तुमको हमारा मिले न मिले

वक़्त है आ गले से लगा लूँ सनम
इतनी फुर्सत

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