शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

कोई तो है!

कोई तो है!’
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है।

मैं जो लिखता हूं वह नहीं

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