शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

मेरी प्रीत का चटख रंग

पहले रंगो

फिर उतार फेंको

भाये न मुझे

छलिया-सी बहार

पल का प्यार।

समा के रखो तुम

गहराई से

मन के भीतर यूँ

कि

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