स्वर्णमयी लंका न मिले मा
स्वर्णमयी लंका न मिले मा , अवधपुरी की धूल मिले सोने में कांटे चुभते है , मिटटी में हैं फूल खिले इन्द्रासन वैभव नही प्यारा , माता की गोद दुलारी नमो नम: जगजननी तेरे कण कण पर सुत बलिहारी पुष्पों की शय्या न मिले , मां कदम कदम पर शूल मिले—————— तेरा सुख सर्वस्व हमारा , तेरा दु:ख आह्वान बने तेरा मान बढ़ाते जाऐं , मृत्यु विजय की शान बने आजीवन पतवार चलाएं , धार मिले या फूल मिले ————————- नयनों में ज्यातित रहना मां , सिर पर वर का कर धरना रग रग में जीवन भरना मां , तुम्हीं प्रेरणा का झरना जीवन भक्ति समर्पित हो नित , अमृत रस में मूल मिले । —————–
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