रविवार, 16 सितंबर 2012

कैसा लगता है शमा बन कर चरागाँ होना....

बेफिक्र हो कर भी तेरा यूँ परेशां होना ,
हैरां हूँ मैं देख कर तेरा यूँ हैरां होना ,

रात आंधीयों से बात ये मालुम हुई

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