मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

21-हार कर रुकना नहीं ग़र तेरी मंजिल दूर है

-- ग़ज़ल --
हार कर रुकना नहीं ग़र तेरी मंजिल दूर है !
ठोकरें खाकर सम्हलना वक्त का दस्तूर है !

हौसले

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