hindi sahitya
शनिवार, 1 दिसंबर 2012
((मै धूड़ता हु उसके कदमो के निशा ))
रात दिन सुबहो शाम तुमको तलाश किसकी है इस सागर के सहिलो से तुम को आस किसकी है, इन
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