hindi sahitya
मंगलवार, 4 दिसंबर 2012
दर्द बयां करूं कैसे
कई जख्मों से है भरी पड़ी
मेरी जिंदगी की दास्तान
कहने को साँसे है चल रही पर
जीने से है कहाँ मेरा वास्ता
ना कोई दवा
पूरा पढ़े ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें