hindi sahitya
शनिवार, 1 दिसंबर 2012
आखिर क्यूँ
चुनौती दे कर किस्मत को
मन खुद में ही मगरूर हुआ
दिल और दीमाग की कश्मकश में
सपनो का आइना चूर चूर हुआ
खुद को
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