शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

पुनः ..... बूँद बूँद ओस.....!!

सुषुप्ति छाई ....गहरी थी निद्रा ....

शीतस्वाप जैसा .. .. ....सीत निद्रा में था श्लथ मन ........!!

न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न

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