सोमवार, 3 दिसंबर 2012

तेरे बिना

मंजिले हे , रास्ते हे , जज्बात हे ,
पर हमे अब खुद पर एतबार
कहा होता हे ?

सारी उम्र गुजारी हे तन्हा, तेरे लिए
मरने के

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