गुरुवार, 5 नवंबर 2015

==* क्यू न करू तारीफ़ *==

ले आयेंगे उसे चौखटपर
वहशी मुजरीम बताकर
सजाभी सुनाई जायेगी
मरहम दिलपे लगाकर

जमाना बीत गया धुंडने
उसे गुनहगार बताकर
वोभी करता रहा सितम
जमाने दहशत फैलाकर

करेंगे कोशिश हुजूर अब
पीठ अपनी थपथपाकर
किया काम तारीफे काबिल
हुजूरेआला पैगाम सुनाकर

तारीफ़ होगी यकिनन जो
रख्खा अफ़साना बनाकर
देशभर होगा माहोल हसीं
करें जश्न दिवाली मनाकर

सरकारने कर दिया काम
अपनी ईमानदारी दिखाकर
अब जजभी करदे यु करम
गुनहगारको फ़ासी चढ़ाकर

बड़ी रोई है ये मेरी आँखे
हकीकत-ऐ- जुल्म देखकर
बड़े दिन गुजर गये शायद
मेरे इस देशको मुस्कुराकर

उम्मीद है अब न होगी वो
मायूसी भारत के चेहरेपर
दाऊदभी आयेगा एकदिन
इकरार -ऐ- जुल्म करकर

क्यू न करू तारीफ़ मैं उनकी
गर किया है फैसला कारगर
बढ़ रही कुछ ताकत दुनियामे
बढ़ रहा भारत उंचायियोपर

होता गर हर फैसला ऐसेही
दिखती तस्वीर कुछ बदलकर
साठ सालोसे हताश मेरा दिल
सुकून मिला मुझे अब जाकर

सुकून मिला मुझे अब जाकर
———****———
शशीकांत शांडीले(SD), नागपूर
भ्रमणध्वनि – 9975995450
दि.04/11/2015

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