बच्चो की दिवाली !!
जब तक न हो कोई शरारत
नहीं बनती बच्चो की दिवाली
पडोसी के द्वारे बम न फोड़े
तब तक कहाँ लगती दिवाली !!
आस पास के दोस्त प्यारे
चाचा ताऊ के भाई दुलारे
संग न मिल जाए ये टोली
तब तक कहाँ मनती दिवाली !!
अनार बम, कोई छुर्री लाता
कोई अपनी बन्दूक दिखाता
जब तक चले न थाल में चर्खी
तब तक कहाँ मनती दिवाली !!
चारो और दीपक जब जलते
मन में ख़ुशी के फूल है खिलते
चमक उठती है रात ये काली
तभी कही लगता आई दिवाली !!
मम्मी अच्छे से पकवान बनाती
दीदी, बुआ घर उपहार जब लाती
मिलती हमे भी चाकलेट प्यारी
तभी कही लगता आई दिवाली !!
सब ने जब नए नए कपडे पहने
देख के दादा जी खुश हो बोले
अब सजी गयी है वानर टोली
अब मनेगी हम सबकी दिवाली !!
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0———::डी. के. निवातियाँ ::———0
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