शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

* मैं क्या बोलू *

मैं क्या बोलू
बोलने वाले तो आप हैं।

कोई करोड़पति है तो कोई कौड़ी पति
जलने के बाद सभी के अवशेष से
ढाई-तीन रूपये की कील ही बन सकती ,

मैं क्या बोलू
बोलने वाले तो आप हैं।

कोई खा-खा कर मर रहा
कोई खाए बिना मर रहा
गरीबी एक अभिशाप है ,

मैं क्या बोलू
बोलने वाले तो आप हैं।

जो सड़क बनता वो फुटपाथ पर सोता
जो महल भवन बनता वो झोपड़पट्टी में रोता
मजदुर,कारीगरों का यहाँ कटे पेट कटे हाथ हैं ,

मैं क्या बोलू
बोलने वाले तो आप हैं।

कहीं कोई सुविधा नहीं कहीं सुविधा का भण्डार है
जिसके परिश्रम से पले-बढ़े यह दुनियाँ
वही आज आत्म हत्या करने को लाचार है ,

मैं क्या बोलू
बोलने वाले तो आप हैं।

खा कर इनका हिस्सा कोई डकारता नहीं
लोकतंत्र में अब सिर्फ वोट (भोट) बैंक की बात है
अभिशप्त इनकी जिंदगी अभिशप्त इनका समाज है ,

मैं क्या बोलू
बोलने वाले तो आप हैं।

आम लोगों का मुद्दा कोई उठाता नहीं
गरीबो की तरफ हाथ कोई बढ़ाता नहीं
नरेन्द्र तुम्हारा क्या अवकात है ,

मैं क्या बोलू
बोलने वाले तो आप हैं।

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