रविवार, 24 जून 2012

माही

क्यूँ स्वप्न सलोने जगते हैं ये
जब नन्ही परियाँ सो गयी हैं
तन व्याकुल सा समय क्या देखे
अब मन की घड़ियाँ खो गयी

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