शुक्रवार, 29 जून 2012

शेर ८- असर लखनवी

(1)
ताइरे-जाँ!1 कितने ही गुलशन तेरे मुश्ताक2 है,
बाजुओं में ताकते - परवाज3 होना चाहिए।

(2)
तुझको है फिक्रे-तनआसानी4

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