शुक्रवार, 22 जून 2012

‘कुछ नहीं’ के बारे में कविता

अब से पहले मेरा मानना था-

‘कुछ नहीं’ के बारे में कुछ भी कह सकना एक झूठ है।
उस पर कविता भी नहीं की जा सकती अगर,

पूरा पढ़े ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें