शुक्रवार, 29 जून 2012

शेर ५- असर लखनवी

(1)
ख्वाब बुनिए, खूब बुनिए, मगर इतना सोचिए,
इसमें है ताना ही ताना, या कहीं बाना भी है।

(2)
गम नहीं तो लज्जते1-शादी2

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