hindi sahitya
सोमवार, 3 दिसंबर 2012
उम्मीद के चरागों का उजाला नहीं जाता....
चलो माना के हमसे सम्भाला नहीं जाता ,
पर बोझ अपना दुसरे पे डाला नहीं जाता ,
रहेगी सांस तब तलक रहेगा इंतज़ार तेरा
पूरा पढ़े ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें