सोमवार, 3 दिसंबर 2012

फिर कहाँ से तुझे गुलाब मिलेगा....

शहर में तेरे भी सैलाब मिलेगा ,
मुखालफ़त का असबाब मिलेगा ,

जब बोये हैं हर सिम्त कांटे तूने ,
फिर कहाँ से तुझे गुलाब

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