उसकी हसीं में लिपटा दर्द छू लिया मैंने
दिल में सुलगती चिंगारी से जल गई
रूह की सिसकती दास्ताँ सुन ली मैंने
उसकी ख्वाहिशों के समंदर में घुल गई
लफ़्ज़ों में सिमटी चुभन पढ़ ली मैंने
उसकी सूने आँखों में मेरी नींदें पिघल गई
हाँ …. उससे पहचान कर ली मैंने ।
—- स्वाति नैथानी
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