सोमवार, 2 नवंबर 2015

नाकाम कोशिश …… स्वाति नैथानी

सुबह से ये वादा किया
शाम को अपनी ज़ुबान दी
उनसे हर नज़दीकी मिटा देंगे
फासलों को आगोश में ले लेंगे
यादों में भी याद न करेंगे
एहसास लफ्ज़ से नफरत करेंगे
भूले से भी कभी आवाज़ न देंगे

लेकिन ……

तेरी गूंजती हसीं ने सुबह को बहका दिया
लफ़्ज़ों की शरारत ने शाम को बहला लिया
ज़ेहन में दफन बेताबी ने मंज़र पिघला दिया
तेरे इश्क़ की कशिश ने फासलों को रुला दिया
बेकरार निग़ाहों ने यादों को गले लगा लिया
तेरी दीवानगी ने हर एहसास जगा दिया
जादू भरी बातों ने हर बोल खिला दिया

भूले से भी कभी भूल नहीं पाऊँगी तुझे
मेरी किस्मत को तूने ये सीखा दिया

—- स्वाति नैथानी

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here नाकाम कोशिश …… स्वाति नैथानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें