मंगलवार, 3 नवंबर 2015

यहा खुद की नही चलती .ग़ज़ल ।

ग़ज़ल.यहा खुद की नही चलती ।

करोगे क्या शिकायत कर तुम्हारी है नही गलती ।।
ग़मो का नाम दुनिया है यहा खुद की नही चलती ।

जो तेरे दोस्त सारे थे जिन्हें तुम छोड़ आये हो ।
मिलें उनको मनाना तुम उमर फिर से नही मिलती ।

किसी की आँख का आँशू कभी बनकर न बहना तुम ।
जरा सा प्यार देने से ख़ुशी तेरी नही मरती ।।

न जाने कौन सी फिसरत मची है आज़माने की ।
इल्म दिल पर नही होता आह उनकी नही भरती ।।

करो तुम फक्र सुन लेकिन बचे दो चार दिन ही है ।
वक्त फिर से न आयेगा उम्र भी तो नही बढ़ती ।।

कही मुरझा न जाये दिल तुम्हारे खौफ़ से साथी ।
बहारें रोज न आती कली दिल की नही खिलती ।।

यकीनन तुम भी पाये हो धोख़ा प्यार में रकमिश”
मग़र दिलफेक दुनिया में ख़ुशी सबको नही मिलती ।।

—R.K.MISHRA

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