सोमवार, 18 जून 2012

गजल

गजल

दिल तेरा मुझको लगा दर्पण कोई, मैं यूँ ही करता रहा दर्षन कोई।

दोस्ती मुझको तेरी खलने लगी, बीच में जो आ गया चिलमन

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