सोमवार, 18 जून 2012

यमुना में ख़ाली नावें देख कर

कितनी नावें थी वहाँ
अकेली उचाट प्रतीक्षारत
लौट कर जिन्हें उनमें चढ़ना था
वे यात्री कहाँ गये
दोपहर थी हमारे

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