उठो भारत के वीर सपूतो,
आज वतन फिर पुकार रहा !
वक़्त नहीं अब घर में सोने का
दुश्मन सीमा पर ललकार रहा !!
सदा किया है, सदा करेंगे
हम न डरे है, हम न डरेंगे
किसने इतनी हिम्मत पायी
जो माँ के शेरो को ललकार रहा !!
उठो भारत के वीर सपूतो,
आज वतन फिर पुकार रहा………………..!!
जब जब किसी ने नजर उठाई
तब तब हमने उसे जबाब दिया
देश रक्षा में अपनी जान गवाईं
उन वीरो का लहू हमे पुकार रहा !!
उठो भारत के वीर सपूतो,
आज वतन फिर पुकार रहा …………………!!
भारत माता हमे जान से प्यारी
जिसपे सदा हमे अभिमान रहा
वतन की खातिर हमे जीना मरना
इसपर जीवन अपना बलिदान रहा
उठो भारत के वीर सपूतो,
आज वतन फिर पुकार रहा …………………!!
भले अलग अलग अपनी भाषा
भले अलग अलग अपनी पोशाकें
हिन्दू, मुस्लिम या सिख, ईसाई
हर कोई एक दूजे का सगा यार रहा !!
उठो भारत के वीर सपूतो,
आज वतन फिर पुकार रहा………………… !
वक़्त नहीं अब घर में सोने का
दुश्मन सीमा पर ललकार रहा……………….!!
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डी. के. निवातियाँ _________***
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