जर्रा जर्रा ना बिखेरा तो मजा क्या है
कोई मासूम ना घेरा तो सजा क्या है.
सिर्फ इतनी सी ही है फरियाद हमारी
या खुदा बतादे कि तेरी रजा क्या है.
जब हवाओं पर भी है यहां तो कर्फ्यू
तो यहां सांस लेने की वजहा क्या है.
एक तसवीर जिसे सबने किया है सजदा
रोशनी वो ही मिटा दे तो गिला क्या है.
फूल से आग के शोले भी निकलते हैं
कांटों से पूंछ्ते हैं कि सिला क्या है.
आप हैं आपका आइना सलामत है तो
धूल सबको न चटा दें तो मिला क्या है.
बस हमेशा से सबको है हमी से शिकवा
कोई इतना तो बता दे कि खता क्या है.
हर तरफ खून के प्यासे है हजारों दानव
दास कैसे उनको बता दें कि पता क्या है.
शिवचरण दास
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