।।गजल।।चाहत जरा होती तुम्हे तो।।
जिंदगी की शौक से राहत जरा होती तुम्हे तो ।।
दिल दिखा देता अगर चाहत जरा होती तुम्हे तो ।।1।।
मिट गया होता हमारे बीच का ये फासला ।।
गर हमारे दर्द की आहट जरा होती तुम्हे तो ।।2।।
मैं चला जाता यकीनन दूर तेरे आंशिया से ।।
पास आने से मेरे छटपटाहट जरा होती तुम्हे तो ।।3।।
मन्नतो से इश्क़ में है बदल जाते मुकद्दर ।।
दिल बदलने की चाह से फुरसत जरा होती तुम्हे तो ।। 4।।
जा कभी अब न करूँगा ख्वाहिसे इजहार की ।।
आज तन्हा रह न जाते हसरत जरा होती तुम्हे तो ।। 5।।
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