फूलों से बातें करे कौन
अगर रंग बिरंगी तितलियाँ
ना हों
चहके महके चूड़ी पायल
टप टप नाचे कौन
अगर घरों में बेटियाँ
ना हों
रौनक आबाद है इन्ही से हर
आँगन की
यह ना हों तो फिर घरों में
बरकतें न हों
घर आये शाम को लौट के बाप
तो लिपट जाये गले से बेटी
फिर कैसे दूर ज़माने की
थकन ना हो
बेटी सी नेहमत है तेरे पास
खुदा का शुक्र अदा कर
देखेगा जो सूनी गोद किसी माँ की
तो शायद तुझे कभी बेटे की
हसरतें ना हों
हिसाब मांगेगी ना कभी
तेरी कमाई का बेटी ,आज़मा लेना
बेटा बेटा नहीं रहता
अगर तेरे पास बाँटनें को ज़मीनें
ना हों
मुहबतें दुआएँ तहज़ीब झोली में डाल कर
रुखसत कर देना बस दो कपड़ों में
अगर उसको देने के लिए तेरे पास
कुछ ज़्यादा ना हो
फूलों से बातें करे कौन
अगर रंग बिरंगी तितलियाँ
न हों………….
नवप्रीत
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