कह दो अपनी यादों से तुम,
मुझे जलाना छोड़ दें अब,
जब तुम्हे नहीं है वास्ता कोई,
मुझे सताना छोड़ दें अब।
वो चांदनी रात है याद मुझे,
आई थी मिलने झील पे जब,
एक पल को लगा की चाँद हो तुम,
तुमसे ही रोशन लगी थी शब।
वो बातें तुम्हारी मीठी सी,
कुछ मिश्री सी कुछ इमली सी,
वो तुम्हारा हँसता चेहरा,
वो उठती गिरती साँसों का अदब।
पर अब हो नहीं तुम पास मेरे,
यादों में ही बस बसी हो तुम,
जाओ तुम हो जाओ परे मुझसे,
बस दर्द ही है तुम्हारा सबब।
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