कब से खड़े तेरे इन्तजार में
प्रभु हमको भी एक झलक दिखाल जाओ कभी !
कहाँ छुपे हो मेरे गिरधर नन्द लाल
मेरे घर आँगन भी बांसुरी बजाया करो कभी कभी !!
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बड़ा असर तेरी रहमत में
तू चाहे तो मुर्दो में जान डाल दे !
मुर्दा दिल बहुत मेरे शहर में
वक्त निकाल घूम जाया करो कभी कभी !!
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प्रभु तुम ठहरे प्रेम का सागर
ये संसार मायाजाल से भरे मैल का दरिया !
नफरत कि इस दुनिया में
प्रेम रस की धारा बरसा जाय करो कभी कभी !!
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बैचैन बहुत हर पल हर क्षण
भोग विलासिता में खोजे आनदं के दो पल !
क्यों भटकता मंदिर मस्जिद
अपने मन को भी खंगाल लिया कर कभी कभी !!
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कब से खड़े तेरे इन्तजार में
प्रभु हमको भी एक झलक दिखाल जाओ कभी !
कहाँ छुपे हो मेरे गिरधर नन्द लाल
मेरे घर आँगन भी बांसुरी बजाया करो कभी कभी !!
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डी. के निवातियाँ __________@@@
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