बहुत करते हो बाते
और मुलाकते ख्वाबो में !
होना भी जाया करो
रूबरू हकीकत में कभी कभी !!
बाते बहुत कहने करने को
कह देंगे तुमसे हम तो गाथा सारी !
चाहते हो गर सुनना हाल ऐ दिल
वक़्त निकाल दो घडी मिला करो कभी कभी !!
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सुना है बड़ी नशीली है तेरी आँखे
छलकाती जाम मदहोशियो के भर भर !
शौक हम भी रखते है मयकदे का
दो घूंट पिला जाया करो कभी कभी !!
रखते हो शौक नजरो से पीने का
नयन हमारे संग भी लड़ाया करी तुम कभी !
रोज सजती है महफ़िल सजदे में
दिल के मयखाने आ जाय करो कभी कभी !!
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बात बरसो पहले कि
लगता वो लम्हा गुजरा अभी अभी !
मोती कि तरह गले पड़ना
फिर टूटकर बिखर जाना कभी कभी !!
याद बीते दिनों की
आज इस दिल में उभरी फिर से अभी अभी !
न कर जख्म ताज़ा दिलो के
शीशे की चोट से टूट जाते है पत्थर भी कभी कभी !!
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बड़े चर्चे तेरी मुस्कराहटो के
कहते है लब खोलते ही फूल झड़ते है !
करके मशखरी बाते दो चार
जरा हमे भी हंसा जाया करो कभी कभी !!
कुछ कहता जमाना कहने दो
हमने तो सीखा जिंदगी को हँस हँस के जीना !
मिली चार दिन की जिंदगानी
लगा के गले हर खुशी और गम मुस्कुराया करो कभी कभी !!
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सुथरे हुस्न का नायब करिश्मा हो
देखे जो तेरी सूरत चाँद भी शरमा जाए !
मै नापाक काली अँधेरी रात सा
एक नजर डाल चमका जाया करो कभी कभी !!
क्यों करते हो बेवजह तारीफ
करके मुकाबला चाँद से मजाक बनाओ न अभी !
ये तो जादूगरी तुम्हारे लफ्जो की
करके बदनाम यूँ हमे सताया न करो कभी कभी !!
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डी. के निवातियाँ __________@@@
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