सोमवार, 13 अप्रैल 2015

चमचागिरी-8

क्यों दिल तुम्हारा अटका है और किधर तुम्हारा ध्यान है;
हर जगह चमचे हैं हर जगह चमचागिरी की दुकान है.

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here चमचागिरी-8

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें