किस से करू शिकायत के आवाज तुम तक अब जाती नही !
बेवजह लगती है जिंदगी जब ये काम किसी के आती नहीं !!
काश कुछ ऐसा हो जाए की हम भूल जाए उनको !
चाहकर भी याद उनकी इस जहन से जाती नही !!
तमाम जिस्म महक उठा एक बार जो गुजरे वो करीब से !
जाने कौन इत्र से नहाये थे जिसकी खुशबु है के जाती नही !!
कुछ ऐसे करगए बसेरा मन मंदिर में जैसे कोई सन्यासी !
एक बार जो जोग लिया फिर लौट के घर वापस जाते नही !!
मंदिर में न मस्जिद में तुम रहते हो भगवन मेरे दिल में !
अब तेरे नाम के बिन मेरी एक भी सांस आती जाती नही !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें