चले चल मुसाफिर चले चल सफर में हो अनजान राहें न मुश्किल सफर है बस तेरे ही भटकने का डर है ख्वाबों में बुना था जो आशियाना वो होने को आया पूरा खबर है न पल भर को तू रुक न दम भर को दम ले हो अर्जुन निशाना तेरी नज़र है।
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