सुबह निकलने से पहले ज़रा
बैठ जाता उन बुजुर्गों के पास
पुराने चश्मे से झांकती आँखें
जो तरसती हैं चेहरा देखने को
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लंच किया तूने दोस्तों के संग
कर देता व्हाट्सेप पत्नी को भी
सबको खिलाकर खुद खाया या
लेट हो गयी परसों की ही तरह
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निकलने से पहले ऑफिस से
देख लेता अपने सहकर्मी को
जो संग चलने को कह रहा था
पर एक मेल करने को रुका था
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निवाला मुंह में डालने से पहले
सोच लेता अपने भाई को भी
जो अभी अभी घर आया था
और वॉशरूम से आने वाला था
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बिस्तर पर सोने से पहले ज़रा
खेलता उस मासूम के साथ भी
दोपहर से पापा पापा रटता रहा
अहसास उसका भी तो था कुछ
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थोड़ा और समय (कविता)
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