पापा का दूसरा शबद है प्यार,
उनके जैसा कोई ना करता मेरा दुलार।
पापा के कन्धों पर है मेरा भार,
होने ना देते कतई मेरी हार।
गजब का है उनका शायराना अन्दाज,
कैसे करू मै इसको शब्दो मे ब्यान।
हर महफिल को रहते वह सजाते,
हंसते-हंसाते,खुशियां रहते फैलाते।
तजुर्बा उनका देता हमें सीख,
जो तकदीर की बदल देता है लकीर।
पापा को हर लमहा मेरा सलाम,
सिर झुकता है उनके चरणों में और करता है शत-शत प्रणाम।
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