.ग़ज़ल.(दिवाने याद रहते है)
तेरी नजरो की ख़ामोशी , तराने याद रहते है ..
लगे जब हम कभी तुमको मनाने याद रहते है..
भले खुद को लुटा दे तू हमारी शौक में हमदम .
मग़र वो दर्द के तेरे जबाने याद रहते है …
बहुत कम फ़ासले थे पर कभी कोशिस न की तुमने ।।
न मिलने के तुम्हारे सब बहाने याद रहते है ।।
हमारे दिल की राहो को तुम्हारा यूँ कुचल जाना .
नही अब जख्म होते पर पुराने याद रहते हैं ..
कभी आना तो देखोगे नही बाक़ी है तन्हाई ..
मग़र तेरे गम के मंजर के तराने याद रहते है ..
करो तुम लाख कोशिस पर मुझे न भूल पावोगे .
खुदा भूले तो भूले पर दीवाने याद रहते है ..
अभी भी वक्त है हमदम इरादा हो चले आना ..
तेरे आगोश के लम्हे सुहाने याद रहते है . .
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