न दे दोष मुझको कि मै तेरी कभी सुनता नही हु
खडा तेरे पीछे आंखोसे मगर मै यु दिखता नही हु
न आजमा ऐ दिवाने तू फितरत को मेरे
आऊंगा यकिनन मै जरुरतमे काम तेरे
उलझा न कर तू बुनकर खयालो के जाले
कर कोशिश हमेशा हो कदमोमे चांद तारे
बेनाम जिंदगीकी यहा क्या किमत है प्यारे
सप्नोको हकीकतमे बदलना जरुरी है
तू कोशिश तो कर देख मै खडा साथ तेरे
कुछ पानेकी खातीर भागणा जरुरी है
मुकम्मल तो होगा सप्नोका आशियाना
तकदीर कोभी लिख्खा बदलनाही होगा
तू बढ जाये इतना जमानेमे आगे
तेरे सामने दुनियाको झुकनाही होगा
तेरे सामने दुनियाको झुकनाही होगा
न दे दोष मुझको कि मै तेरी कभी सुनता नही हु
खडा तेरे पीछे आंखोसे मगर मै यु दिखता नही हु
—————-****—————-
शशिकांत शांडीले (SD), नागपूर
Mo. ९९७५९९५४५०
दि. १९-१०-२०१५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें