आज हर कोई बाँट रहा, मुल्को की सरहदो को ! जलजले कब समझते है मजहबी हथियारों को !! ! बाँट लो तुम चाहे जितना, मुल्को और इंसानो को ! बाँट सको तो बाँट दिखाओ, खुदा के कारनामो को !!
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