बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद को हमे समझना होगा !
नही बनेगी बात सिर्फ बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
रोज रोज की वही खबरे
अखबारों की सुर्खिया बनती है !
रोज किसी के घर की खुशिया
मातम का रूप धरती है !
कब तक बैठे आंसू बहाये,
सवयं को ये समझना होगा !!
बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद हम को सम्भलना होगा !
नही बनेगी बात केवल बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
जिधर देखो त्राहि त्राहि
लूट-पाट की होड़ लगी है
कोई नही है पाक साफ़
लालच की बुरी लत लगी है
कर सुधार अपने में हमको
व्यवस्था को बनाना होगा !!
बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद हम को सम्भलना होगा !
नही बनेगी बात केवल बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
जात धर्म पर लड़ते लोग
राजनितिक दल मजा उड़ाते है
बाँट-बाँट कर हमे टुकड़ो में,
खुद काले धंधो का व्यापार चलाते है
त्याग करो बोनी मानसिकता को
अब इन सब से ऊपर उठना होगा !
बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद हम को सम्भलना होगा !
नही बनेगी बात केवल बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
आज युग आया तकनिकी का,
इसमें धुरंधर संसार हुआ है
कमर टूटी अपनी अर्थव्यवस्था की
जाने क्यों अपना देश लाचार हुआ है
हर कोई करे बात विकास की,
बातो के करने से अब क्या होगा !!
बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद हम को सम्भलना होगा !
नही बनेगी बात केवल बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
सोई आत्मा आज युवाओ की
कैसे अपनी राह भटक रहे है
पढ़ – लिखकर भी ऐसे लाचार
शैतानो के गंदे इशारो पे चले है !
समय आया है राह बदलने का
अब नया पथ बनाकर चलना होगा !!
बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद हम को सम्भलना होगा !
नही बनेगी बात केवल बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
चारो और हाहाकर मचा
जनता आज त्रस्त हुई है
सरकारी तंत्र का हाल बुरा है
भ्रष्टाचार से ग्रस्त हुई है
ये पेड़ हम ही ने बोया था
वक़्त रहते इसको मिटाना होगा !!
बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद हम को सम्भलना होगा !
नही बनेगी बात केवल बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
आजादी अब बूढी होने को आई
पर गरीबी अब तक न मिट पाई है
कृषि प्रधान देश था अपना देश
देखो हालत इसकी कैसी इसकी हुई है
रोज मरते गरीब किसान देश में
आगे बढ़ कर इनको बचाना होगा !!
बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद हम को सम्भलना होगा !
नही बनेगी बात केवल बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
राम कृष्ण के इस देश में
क्यों नारी का सम्मान लूटा है
महापुरुषों की धरती पर
क्यों इतना अत्याचार बढ़ा है !
जागो मेरे देश के प्यारो
इस कुसंगति को अब मिटाना होगा !!
बहुत हुआ खेल दोषा रोपण का, अब खुद हम को सम्भलना होगा !
नही बनेगी बात केवल बातो से इरादो के प्रति कटिबद्ध होना होगा !!
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{{______डी. के. निवातियाँ _____}}
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