निर्मम स्नेह :
एक बार दुर्घटना के शिकार एक बच्चे का इंतकाल हो गया, घर में उसका मृत शरीर रखा हुआ था, चारो और महिलाये समूह में बैठी विलाप कर रही थी, दृश्य करुण रुदन से भरा हुआ था, अचानक नजरे एक वृद्धा पर पड़ी जो लगभग अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर थी, माथे पर एक हाथ रखे उस बेजान शरीर को दूजे पंखा झाल रही थी ! एक तो वैसे थी आँखे नम और ह्रदय दुखित था, दूसरी और उस की “ममता और निर्मम स्नेह” ने मन को झकझोर दिया, उस दृश्य को देखकर अनायास ही नयनो से अविरल अश्रु धारा फुट पड़ी !!
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