यह भी एक सिीधी सिधी रचना है सिधी हाेते हुए यही रचना नही है बल्की एक चना है । रचना हमकाे रचाती है रचना ताे हमकाे नचाती है । अबके वर्ष रचना भी चना बन जाती है रचनाके साथ अर्चना भी अाजाती है ।
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