सोमवार, 31 दिसंबर 2012
हाय! री ये किस्मत...
ये गाना दिल्ली गैंग रेप पीड़ित दिवंगत दामिनी को श्रधान्जली है।
हाय! री ये किस्मत...
यह गाना यूट्यूब पर है, गाना
हाय! री ये किस्मत...
यह गाना यूट्यूब पर है, गाना
तीन-पंक्तियाँ
"माहिया" नामक शैली से तीन पंक्तियाँ मे कविता लिखी गई है,
(1)
तीन पंक्तियों के मेल,
सजन ‘का ’ खेल;
आप सब बिठाएं
(1)
तीन पंक्तियों के मेल,
सजन ‘का ’ खेल;
आप सब बिठाएं
तीन-पंक्तियाँ
"माहिया" नामक शैली से तीन पंक्तियाँ मे कविता लिखी गई है,
( ;D)
तीन पंक्तियों के मेल,
सजन ‘का ’ खेल;
आप सब बिठाएं
( ;D)
तीन पंक्तियों के मेल,
सजन ‘का ’ खेल;
आप सब बिठाएं
बंजारा...
होड़ सी लगी है,
उस अदृश्य तक पहुँचने की।
वहां तक पहुंचे तो कहीं,
और गन्तव्य पर चल पड़े।
रास्ते बदले, मंजिले
उस अदृश्य तक पहुँचने की।
वहां तक पहुंचे तो कहीं,
और गन्तव्य पर चल पड़े।
रास्ते बदले, मंजिले
प्यारा -सा चाँद !
1
आज की रात,
केसरिया है चाँद ,
प्यारा सलोना !
2
देखूँ अक्सर
यूँ तो फलक पर
प्यारा -सा चाँद !
3
आज निहारूँ,
बसाए
आज की रात,
केसरिया है चाँद ,
प्यारा सलोना !
2
देखूँ अक्सर
यूँ तो फलक पर
प्यारा -सा चाँद !
3
आज निहारूँ,
बसाए
प्यारा -सा चाँद !
1
आज की रात,
केसरिया है चाँद ,
प्यारा सलोना !
2
देखूँ अक्सर
यूँ तो फलक पर
प्यारा -सा चाँद !
3
आज निहारूँ,
बसाए
आज की रात,
केसरिया है चाँद ,
प्यारा सलोना !
2
देखूँ अक्सर
यूँ तो फलक पर
प्यारा -सा चाँद !
3
आज निहारूँ,
बसाए
मेरी बिटिया
1
हो मुबारक़,
जन्मदिन तुझको। ।
मेरी बिटिया !
मैं जाऊँ वारी- वारी,
लूँ मैं तेरी बलैयाँ !
2
तू मेरा मान,
तू मेरा
हो मुबारक़,
जन्मदिन तुझको। ।
मेरी बिटिया !
मैं जाऊँ वारी- वारी,
लूँ मैं तेरी बलैयाँ !
2
तू मेरा मान,
तू मेरा
प्यारा -सा चाँद !
1
आज की रात,
केसरिया है चाँद ,
प्यारा सलोना !
2
देखूँ अक्सर
यूँ तो फलक पर
प्यारा -सा चाँद !
3
आज निहारूँ,
बसाए
आज की रात,
केसरिया है चाँद ,
प्यारा सलोना !
2
देखूँ अक्सर
यूँ तो फलक पर
प्यारा -सा चाँद !
3
आज निहारूँ,
बसाए
प्यारा -सा चाँद !
1
आज की रात,
केसरिया है चाँद ,
प्यारा सलोना !
2
देखूँ अक्सर
यूँ तो फलक पर
प्यारा -सा चाँद !
3
आज निहारूँ,
बसाए
आज की रात,
केसरिया है चाँद ,
प्यारा सलोना !
2
देखूँ अक्सर
यूँ तो फलक पर
प्यारा -सा चाँद !
3
आज निहारूँ,
बसाए
मेरी बिटिया
1
हो मुबारक़,
जन्मदिन तुझको। ।
मेरी बिटिया !
मैं जाऊँ वारी- वारी,
लूँ मैं तेरी बलैयाँ !
2
तू मेरा मान,
तू मेरा
हो मुबारक़,
जन्मदिन तुझको। ।
मेरी बिटिया !
मैं जाऊँ वारी- वारी,
लूँ मैं तेरी बलैयाँ !
2
तू मेरा मान,
तू मेरा
मेरी बिटिया
1
हो मुबारक़,
जन्मदिन तुझको। ।
मेरी बिटिया !
मैं जाऊँ वारी- वारी,
लूँ मैं तेरी बलैयाँ !
2
तू मेरा मान,
तू मेरा
हो मुबारक़,
जन्मदिन तुझको। ।
मेरी बिटिया !
मैं जाऊँ वारी- वारी,
लूँ मैं तेरी बलैयाँ !
2
तू मेरा मान,
तू मेरा
सजाओ हरीतिमा
1
(अ)
सोंधी महक,
स्वच्छ वातावरण…
कहाँ खो गया?
(ब )
धूल, ईंधन,
बारूद से दूषित…
जग हो गया !
2
(अ)
प्लास्टिक
(अ)
सोंधी महक,
स्वच्छ वातावरण…
कहाँ खो गया?
(ब )
धूल, ईंधन,
बारूद से दूषित…
जग हो गया !
2
(अ)
प्लास्टिक
सजाओ हरीतिमा
1
(अ)
सोंधी महक,
स्वच्छ वातावरण…
कहाँ खो गया?
(ब )
धूल, ईंधन,
बारूद से दूषित…
जग हो गया !
2
(अ)
प्लास्टिक
(अ)
सोंधी महक,
स्वच्छ वातावरण…
कहाँ खो गया?
(ब )
धूल, ईंधन,
बारूद से दूषित…
जग हो गया !
2
(अ)
प्लास्टिक
झगड़ा चमचे और कुत्ते का
चमचा - कुत्ते शर्म नहीं आती, गलत रास्ते जा रहा है।
नेताजी का जूँठा, हमारा हक तू खा रहा है।
कुत्ता - भाई साहब! आप
नेताजी का जूँठा, हमारा हक तू खा रहा है।
कुत्ता - भाई साहब! आप
काली कोठरी में कैद
लगता है चाँद मुजरिम है कैद काट रहा है रातों की घुप्प काली कोठरी में
सूरज को सिपाही बनाकर सुरक्षा व्यावस्था का
सूरज को सिपाही बनाकर सुरक्षा व्यावस्था का
kali kothari main kaid
“काली कोठरी में कैद“
लगता है चाँद मुजरिम है कैद काट रहा है रातों की घुप्प काली कोठरी में
सूरज को सिपाही
लगता है चाँद मुजरिम है कैद काट रहा है रातों की घुप्प काली कोठरी में
सूरज को सिपाही
jhagda chamacha aur kutte ka
चमचा - कुत्ते शर्म नहीं आती, गलत रास्ते जा रहा है। नेताजी का जूँठा, हमारा हक तू खा रहा है। कुत्ता - भाई साहब! आप ही तो कह
आंखो का गिरता जल स्तर
आंखो का गिरता जल स्तर
आंखो का गिरता जल स्तर,
रिश्तो की धरती है बंजर,
आंखो का गिरता जल स्तर।
****
राम लखन का
आंखो का गिरता जल स्तर,
रिश्तो की धरती है बंजर,
आंखो का गिरता जल स्तर।
****
राम लखन का
कुछ जिंदगी में हमारी तुम इस तरह आए
<strong>कुछ जिंदगी में हमारी तुम इस तरह आये
चाहते हुए भी हम खुद को रोक न पाए|
है ये तेरा जलवा या कदम हमारे थे लड़खड़ाए
चाहते हुए भी हम खुद को रोक न पाए|
है ये तेरा जलवा या कदम हमारे थे लड़खड़ाए
अमर अमिट भारत
न मेरा
न तेरा
यह भारत देश
हम सबका
हम यहां
करेंगे ईमानदारी से
मजदूरी किसानी कुली गिरी
नेता गिरी
न तेरा
यह भारत देश
हम सबका
हम यहां
करेंगे ईमानदारी से
मजदूरी किसानी कुली गिरी
नेता गिरी
बाप की हार बेटे से हो जाती है
विज्ञान के छात्र ने, कुत्ते की पूंछ से कुछ गाया।
बाप बोला बेटा, तू कुत्ते की पूंछ क्यों ले आया।
छात्र बोला पिताजी,
बाप बोला बेटा, तू कुत्ते की पूंछ क्यों ले आया।
छात्र बोला पिताजी,
रविवार, 30 दिसंबर 2012
जीवन के पथरीले रास्ते पर...
जीवन के पथरीले रास्ते पर,
कुछ खोया, कुछ पाया है हम ने |
कहीं धूप मिली, कहीं छाँव मिला,
हर मौसम को हँस के, बिताया है हम
कुछ खोया, कुछ पाया है हम ने |
कहीं धूप मिली, कहीं छाँव मिला,
हर मौसम को हँस के, बिताया है हम
जीवन के पथरीले रास्ते पर...
जीवन के पथरीले रास्ते पर,
कुछ खोया, कुछ पाया है हम ने |
कहीं धूप मिली, कहीं छाँव मिला,
हर मौसम को हँस के, बिताया है हम
कुछ खोया, कुछ पाया है हम ने |
कहीं धूप मिली, कहीं छाँव मिला,
हर मौसम को हँस के, बिताया है हम
जीवन के पथरीले रास्ते पर...
जीवन के पथरीले रास्ते पर,
कुछ खोया, कुछ पाया है हम ने |
कहीं धूप मिली, कहीं छाँव मिला,
हर मौसम को हँस के, बिताया है हम
कुछ खोया, कुछ पाया है हम ने |
कहीं धूप मिली, कहीं छाँव मिला,
हर मौसम को हँस के, बिताया है हम
जीवन के पथरीले रास्ते पर...
जीवन के पथरीले रास्ते पर,
कुछ खोया, कुछ पाया है हम ने |
कहीं धूप मिली, कहीं छाँव मिला,
हर मौसम को हँस के, बिताया है हम
कुछ खोया, कुछ पाया है हम ने |
कहीं धूप मिली, कहीं छाँव मिला,
हर मौसम को हँस के, बिताया है हम
09-अपनी खता ना कोई गुनहगार हम नही [गजल]
APNI KHATA NA KOI GUNAHGAR HAM NAHI...
अपनी ख़ता ना कोई गुनहगार हम नही *
फिर क्यूं तेरी नज़र मे तेरा प्यार हम नही
.....
उनकी किसी भी बात से
अपनी ख़ता ना कोई गुनहगार हम नही *
फिर क्यूं तेरी नज़र मे तेरा प्यार हम नही
.....
उनकी किसी भी बात से
28-ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है
= ग़ज़ल =
ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है =
मुहब्बत की नज़र से देखने की बस जरुरत है =
यहाँ पर
ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है =
मुहब्बत की नज़र से देखने की बस जरुरत है =
यहाँ पर
27-ज़िंदगी का सहारा मिले न मिले
= ग़ज़ल =
ज़िंदगी का सहारा मिले न मिले ==
साथ तुमको हमारा मिले न मिले ==
वक़्त है आ गले से लगा लूँ सनम ==
इतनी
ज़िंदगी का सहारा मिले न मिले ==
साथ तुमको हमारा मिले न मिले ==
वक़्त है आ गले से लगा लूँ सनम ==
इतनी
27-ज़िंदगी का सहारा मिले न मिले
ग़ज़ल
ज़िंदगी का सहारा मिले न मिले
साथ तुमको हमारा मिले न मिले
वक़्त है आ गले से लगा लूँ सनम
इतनी फुर्सत
ज़िंदगी का सहारा मिले न मिले
साथ तुमको हमारा मिले न मिले
वक़्त है आ गले से लगा लूँ सनम
इतनी फुर्सत
17-रहेंगे दिल में ये समझा था वो ख़ुशी बनकर
ग़ज़ल
रहेंगे दिल में ये समझा था वो ख़ुशी बनकर
मिटा रहे है वही मुझको ज़िन्दगी बनकर
वो मेरे ज़िस्म
रहेंगे दिल में ये समझा था वो ख़ुशी बनकर
मिटा रहे है वही मुझको ज़िन्दगी बनकर
वो मेरे ज़िस्म
17-रहेंगे दिल में ये समझा था वो ख़ुशी बनकर
ग़ज़ल
रहेंगे दिल में ये समझा था वो ख़ुशी बनकर
मिटा रहे है वही मुझको ज़िन्दगी बनकर
वो मेरे ज़िस्म
रहेंगे दिल में ये समझा था वो ख़ुशी बनकर
मिटा रहे है वही मुझको ज़िन्दगी बनकर
वो मेरे ज़िस्म
12-चाँद सूरज में सितारों में तेरा नाम रहे
ग़ज़ल
चाँद सूरज में सितारों में तेरा नाम रहे
जब भी चमके तो चमक तेरी सरे बाम रहे
मेरी खुशहाली की
चाँद सूरज में सितारों में तेरा नाम रहे
जब भी चमके तो चमक तेरी सरे बाम रहे
मेरी खुशहाली की
BAAP KI HAAR BETE SE HO JATI HAI
विज्ञान के छात्र ने, कुत्ते की पूंछ से कुछ गाया।
बाप बोला बेटा, तू कुत्ते की पूंछ क्यों ले आया।
छात्र बोला पिताजी,
बाप बोला बेटा, तू कुत्ते की पूंछ क्यों ले आया।
छात्र बोला पिताजी,
नया सपना
नया सपना
गाँव के मेले में हाथों को थामें,
घुमती हुई रंगीली चकरी को ताकते,
उन मासूम सपनो की तरह,
समय की हर
गाँव के मेले में हाथों को थामें,
घुमती हुई रंगीली चकरी को ताकते,
उन मासूम सपनो की तरह,
समय की हर
Amar amit Bhart
अमर अमिट भारत”---कश्मीर सिंह
न मेरा
न तेरा
यह भारत देश
हम सबका
हम यहां
करेंगे ईमानदारी से
मजदूरी
न मेरा
न तेरा
यह भारत देश
हम सबका
हम यहां
करेंगे ईमानदारी से
मजदूरी
ये सब उलटा सा क्यूँ ?
ये सब उलटा सा क्यूँ ?
सोच ही तो माया का खेल है,
बहुत गहरा उलझा सवाल है,
भगवान् एक, पर रूप अनेक ;
भगवान् ने हमे
सोच ही तो माया का खेल है,
बहुत गहरा उलझा सवाल है,
भगवान् एक, पर रूप अनेक ;
भगवान् ने हमे
श्रधांजली
श्रधांजली
मृत्यु की व्याकुलता से परेशान :
इस पीड़ा को अब मन न पहनाना,
अतीत की वि-स्मृति का परिधान!
डिगे नहीं कितने
मृत्यु की व्याकुलता से परेशान :
इस पीड़ा को अब मन न पहनाना,
अतीत की वि-स्मृति का परिधान!
डिगे नहीं कितने
जबाव-सवाल !!
जबाव-सवाल !!
आयकर अधिकारी के पास,
हिसाब का लेखा-जोखा बताने;
पहुँचा देहाती होकर बदहवास!
साहब ने पूछा "खाता कंहा
आयकर अधिकारी के पास,
हिसाब का लेखा-जोखा बताने;
पहुँचा देहाती होकर बदहवास!
साहब ने पूछा "खाता कंहा
प्रतिक्रिया
प्रतिक्रिया
योग्यता को मिले सम्मान,
देनेवाले का भी बड़े मान;
जिन मे होता सही-सही ज्ञान,
नहीं होंता उनमे कोई
योग्यता को मिले सम्मान,
देनेवाले का भी बड़े मान;
जिन मे होता सही-सही ज्ञान,
नहीं होंता उनमे कोई
इज़्ज़त!?!
इज़्ज़त!?!
मानसिक अवसाद-अत्याचार:
झेले शारीरिक कस्ट विकार,
किसी से हैवानों का बलात्कार:
विकृत यौनेच्छा का आधार
मानसिक अवसाद-अत्याचार:
झेले शारीरिक कस्ट विकार,
किसी से हैवानों का बलात्कार:
विकृत यौनेच्छा का आधार
भारत की बेटी को अश्रुपूर्ण श्रधांजलि
भारत की बेटी को अश्रुपूर्ण श्रधांजलि
- मिटा सके जो दर्द तेरा
वो शब्द कहाँ से लाऊँ
चूका सकूं एहसान तेरा
वो प्राण
- मिटा सके जो दर्द तेरा
वो शब्द कहाँ से लाऊँ
चूका सकूं एहसान तेरा
वो प्राण
बलात्कार पर कविता
मिटा सके जो दर्द तेरा
वो शब्द कहाँ से लाऊँ
चूका सकूं एहसान तेरा
वो प्राण कहाँ से लाऊँ
खेद हुआ है आज मुझे
लेख से
वो शब्द कहाँ से लाऊँ
चूका सकूं एहसान तेरा
वो प्राण कहाँ से लाऊँ
खेद हुआ है आज मुझे
लेख से
मैं कौन हूँ
कभी- कभार
जब कभी
मेरी बस्ती में
मुझे कोई
मेरे नाम से
आवाज देता है,तो
मुझे मेरे होने का
तब जाकर
सही अहसास
जब कभी
मेरी बस्ती में
मुझे कोई
मेरे नाम से
आवाज देता है,तो
मुझे मेरे होने का
तब जाकर
सही अहसास
शनिवार, 29 दिसंबर 2012
वह चुटकियों में हल निकाल देता है
वह चुटकियों में हल निकाल देता है
चालाक है, कीचड़ उछाल देता है ।
घुप्प अंधेरा हर तरफ कायम रहे -
आवरण सूरज पे डाल देता
चालाक है, कीचड़ उछाल देता है ।
घुप्प अंधेरा हर तरफ कायम रहे -
आवरण सूरज पे डाल देता
स्त्री पर कविता - दामिनी/निर्भया को समर्पित
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -
हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे एक सवाल
क्यों लिख दी तूने
जन्म के
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -
हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे एक सवाल
क्यों लिख दी तूने
जन्म के
स्त्री पर कविता - दामिनी/निर्भया को समर्पित
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -
हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे एक सवाल
क्यों लिख दी तूने
जन्म के
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -
हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे एक सवाल
क्यों लिख दी तूने
जन्म के
दामिनी/निर्भया को समर्पित कविताएँ
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
दामिनी/निर्भया को समर्पित कविताएँ
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
दामिनी/निर्भया को समर्पित कविताएँ
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
दामिनी/निर्भया को समर्पित कविताएँ
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
दामिनी/निर्भया को समर्पित कविताएँ
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
दामिनी/निर्भया को समर्पित कविताएँ
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
दामिनी/निर्भया को समर्पित कविताएँ
१)
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -
हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
आज विधाता से एक सवाल पूछने का बड़ा मन कर रहा है -
हे सृजनहार
पूछती हूँ
तुझसे
“मैं कौन हूँ” Main kaon hoon
“मैं कौन हूँ”
कभी- कभार
जब कभी
मेरी बस्ती में
मुझे कोई
मेरे नाम से
आवाज देता है,तो
मुझे मेरे होने
कभी- कभार
जब कभी
मेरी बस्ती में
मुझे कोई
मेरे नाम से
आवाज देता है,तो
मुझे मेरे होने
बलात्कार पर कविता
<a href="http://www.hindisahitya.org/poet-arun-mishra/24131/attachment/girl/" rel="attachment wp-att-24132"><img src="http://www.hindisahitya.org/wp-content/uploads/girl.jpg" alt="girl" width="259" height="194"
बलात्कार पर कविता
मिटा सके जो दर्द तेरा
वो शब्द कहाँ से लाऊँ
चूका सकूं एहसान तेरा
वो प्राण कहाँ से लाऊँ
खेद हुआ है आज मुझे
लेख से
वो शब्द कहाँ से लाऊँ
चूका सकूं एहसान तेरा
वो प्राण कहाँ से लाऊँ
खेद हुआ है आज मुझे
लेख से
बलात्कार पर कविता
<a href="http://www.hindisahitya.org/poet-arun-mishra/24131/attachment/girl/" rel="attachment wp-att-24132"><img src="http://www.hindisahitya.org/wp-content/uploads/girl.jpg" alt="girl" width="259" height="194"
बलात्कार पर कविता
<a href="http://www.hindisahitya.org/poet-arun-mishra/24131/attachment/girl/" rel="attachment wp-att-24132"><img src="http://www.hindisahitya.org/wp-content/uploads/girl.jpg" alt="girl" width="259" height="194"
balatkar pr kavita,hearteaching poem, rape,arun mishra,arun,arun kavita
बलात्कार पर कविता
<a href="http://www.hindisahitya.org/poet-arun-mishra/24131/attachment/girl/" rel="attachment wp-att-24132"><img src="http://www.hindisahitya.org/wp-content/uploads/girl.jpg" alt="girl" width="259" height="194"
balatkar pr kavita,hearteaching poem, rape,arun mishra,arun,arun kavita
घुटन
घुटन
आज फिर चिडिया चहचहाने लगी है
कल शाम जो जिन्दगि खो दिया था मैने
आज फिर उसे पाया हूँ
कल क्या होगा किसे पता
आज फिर चिडिया चहचहाने लगी है
कल शाम जो जिन्दगि खो दिया था मैने
आज फिर उसे पाया हूँ
कल क्या होगा किसे पता
कैसे कहूँ अलबिदा
कैसे कहूँ अलबिदा
यह फूल जो मैने बोया है
इश्वर कि एक तोहफा है
आज इस फूल को आप की नजर मे
चड़ाने जारहा हुँ
मुझे जो
यह फूल जो मैने बोया है
इश्वर कि एक तोहफा है
आज इस फूल को आप की नजर मे
चड़ाने जारहा हुँ
मुझे जो
शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012
कविता-मकरंद की मिठास
मुझसे किसी ने कहा
कविता है
पार्थिव शब्दों का संसार
मैं नहीं मानती
इन शब्दों में भरी है
मकरंद की मिठास
सुमन की गंध
कविता है
पार्थिव शब्दों का संसार
मैं नहीं मानती
इन शब्दों में भरी है
मकरंद की मिठास
सुमन की गंध
कविता-मकरंद की मिठास
मुझसे किसी ने कहा
कविता है
पार्थिव शब्दों का संसार
मैं नहीं मानती
इन शब्दों में भरी है
मकरंद की मिठास
सुमन की गंध
कविता है
पार्थिव शब्दों का संसार
मैं नहीं मानती
इन शब्दों में भरी है
मकरंद की मिठास
सुमन की गंध
उम्र जो बढ़ी
उम्र जो बढ़ी
बढ़ा जोश उनका
कुछ पद था
कुछ पैसे का बल
माता पिता की
थी अपनी दुनिया
लड़खड़ाती
हाथों में ले के
बढ़ा जोश उनका
कुछ पद था
कुछ पैसे का बल
माता पिता की
थी अपनी दुनिया
लड़खड़ाती
हाथों में ले के
उम्र जो बढ़ी
उम्र जो बढ़ी
बढ़ा जोश उनका
कुछ पद था
कुछ पैसे का बल
माता पिता की
थी अपनी दुनिया
लड़खड़ाती
हाथों में ले के
बढ़ा जोश उनका
कुछ पद था
कुछ पैसे का बल
माता पिता की
थी अपनी दुनिया
लड़खड़ाती
हाथों में ले के
देखा है मैने
माँ देखा मैने -
बहुत कुछ देखा
बेनूर लोग
बेरंग ये दुनिया
देखा है मैने
खुद आगे जाने को
कुचला उसे
स्वार्थी हुआ
बहुत कुछ देखा
बेनूर लोग
बेरंग ये दुनिया
देखा है मैने
खुद आगे जाने को
कुचला उसे
स्वार्थी हुआ
बरसों बाद
बरसों बाद
मेरे मन आँगन
महका प्यार
झूम उठा आसमां
खिला संसार।
मन की कलियाँ भी
खिलने लगी
चेहरे पे रंगत
दिखने
मेरे मन आँगन
महका प्यार
झूम उठा आसमां
खिला संसार।
मन की कलियाँ भी
खिलने लगी
चेहरे पे रंगत
दिखने
याद- परिंदे
कहाँ से आए
ये उड़ते-उड़ाते
याद परिंदे
हम कैसे बताएँ ।
भीगी पलकें
उदासियों का चोला
पहने बैठीं
चुपके से
ये उड़ते-उड़ाते
याद परिंदे
हम कैसे बताएँ ।
भीगी पलकें
उदासियों का चोला
पहने बैठीं
चुपके से
मेरी प्रीत का चटख रंग
पहले रंगो
फिर उतार फेंको
भाये न मुझे
छलिया-सी बहार
पल का प्यार।
समा के रखो तुम
गहराई से
मन के भीतर यूँ
कि
फिर उतार फेंको
भाये न मुझे
छलिया-सी बहार
पल का प्यार।
समा के रखो तुम
गहराई से
मन के भीतर यूँ
कि
नन्हीं -सी परी
नन्हीं -सी परी
गुलाब पाँखुरी सी
आई जमीं पे
झूम उठा आँगन
महकी हंसी
रोशन होने लगा
बुझा सा मन
भर गई फिर
गुलाब पाँखुरी सी
आई जमीं पे
झूम उठा आँगन
महकी हंसी
रोशन होने लगा
बुझा सा मन
भर गई फिर
जेठ की धूप
बनकर दुश्मन
जलाती तन
बिगाड़े सब रिश्ते।
बाज़ न आती
आग तक लगाती
न घबराती
हैं सब ही पिसते।
पूरे
जलाती तन
बिगाड़े सब रिश्ते।
बाज़ न आती
आग तक लगाती
न घबराती
हैं सब ही पिसते।
पूरे
ये खामोशियाँ
ये खामोशियाँ
डुबो गई मुझको
दर्द से भरी
गहन औ’ अँधेरी
कोठरियों में।
गूँजती ही रहती
मेरी साँसों
डुबो गई मुझको
दर्द से भरी
गहन औ’ अँधेरी
कोठरियों में।
गूँजती ही रहती
मेरी साँसों
मेरी प्रीत का चटख रंग
पहले रंगो
फिर उतार फेंको
भाये न मुझे
छलिया-सी बहार
पल का प्यार।
समा के रखो तुम
गहराई से
मन के भीतर यूँ
कि
फिर उतार फेंको
भाये न मुझे
छलिया-सी बहार
पल का प्यार।
समा के रखो तुम
गहराई से
मन के भीतर यूँ
कि
कोई तो है!
कोई तो है!’
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है।
मैं जो लिखता हूं वह नहीं
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है।
मैं जो लिखता हूं वह नहीं
कौन महान
“कौन महान” कौन बड़ा है कौन है छोटा आओ करें विचार ताकि न हो सके हम किसी भ्रम का शिकार क्या शासक बड़ा है प्रशासक बड़ा
गुरुवार, 27 दिसंबर 2012
क्या होगा
"क्या होगा"
गुस्सा कर....
अपना माथा
फोड कर
क्या होगा
जमीन से
आकाश में
वार कर
क्या होगा
समुद्र
गुस्सा कर....
अपना माथा
फोड कर
क्या होगा
जमीन से
आकाश में
वार कर
क्या होगा
समुद्र
नहीं रोती हूँ मैं
नहीं रोती हूँ मैं
अगले सावन आने तक
मेह में भीगती हूँ, तब मैं रोती हूँ
कितनी-कितनी देर रोती हूँ
तन गलता है, मन
अगले सावन आने तक
मेह में भीगती हूँ, तब मैं रोती हूँ
कितनी-कितनी देर रोती हूँ
तन गलता है, मन
नहीं रोती हूँ मैं
नहीं रोती हूँ मैं
अगले सावन आने तक
मेह में भीगती हूँ, तब मैं रोती हूँ
कितनी-कितनी देर रोती हूँ
तन गलता है, मन
अगले सावन आने तक
मेह में भीगती हूँ, तब मैं रोती हूँ
कितनी-कितनी देर रोती हूँ
तन गलता है, मन
खिड़कियाँ
खिड़कियाँ
लफ़्ज़ों के झाड़ उगे रहते थे
जब तुम थे मेरे साथ
हम दोनों थे हमारे पास
रिश्ते की ओढ़नी
लफ़्ज़ों के झाड़ उगे रहते थे
जब तुम थे मेरे साथ
हम दोनों थे हमारे पास
रिश्ते की ओढ़नी
खिड़कियाँ
खिड़कियाँ
लफ़्ज़ों के झाड़ उगे रहते थे
जब तुम थे मेरे साथ
हम दोनों थे हमारे पास
रिश्ते की ओढ़नी
लफ़्ज़ों के झाड़ उगे रहते थे
जब तुम थे मेरे साथ
हम दोनों थे हमारे पास
रिश्ते की ओढ़नी
खिड़कियाँ
खिड़कियाँ
लफ़्ज़ों के झाड़ उगे रहते थे
जब तुम थे मेरे साथ
हम दोनों थे हमारे पास
रिश्ते की ओढ़नी
लफ़्ज़ों के झाड़ उगे रहते थे
जब तुम थे मेरे साथ
हम दोनों थे हमारे पास
रिश्ते की ओढ़नी
अलाव
अलाव
तुमसे अलग होकर
घर लौटने तक
मन के अलाव पर
आज फिर एक नयी कविता पकी है
अकेलेपन की आँच से
समझ नहीं पाती
तुमसे अलग होकर
घर लौटने तक
मन के अलाव पर
आज फिर एक नयी कविता पकी है
अकेलेपन की आँच से
समझ नहीं पाती
अलाव
अलाव
तुमसे अलग होकर
घर लौटने तक
मन के अलाव पर
आज फिर एक नयी कविता पकी है
अकेलेपन की आँच से
समझ नहीं पाती
तुमसे अलग होकर
घर लौटने तक
मन के अलाव पर
आज फिर एक नयी कविता पकी है
अकेलेपन की आँच से
समझ नहीं पाती
नहीं चाहिए
नहीं चाहिए
अब
तुम्हारे झूठे आश्वासन
मेरे घर के आँगन में फूल नहीं खिला सकते
चाँद नहीं उगा सकते
मेरे घर की
अब
तुम्हारे झूठे आश्वासन
मेरे घर के आँगन में फूल नहीं खिला सकते
चाँद नहीं उगा सकते
मेरे घर की
koi to hai
कोई तो है!’
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह
धूप के रंग ( हाइकु)
धूप के रंग
1
धूप कणियाँ
खुल गई गठरी
चिडियाँ चुगे
2
इन्द्र धनुष
सतरंगी झूलना
झूलती धूप
3
जेठ
1
धूप कणियाँ
खुल गई गठरी
चिडियाँ चुगे
2
इन्द्र धनुष
सतरंगी झूलना
झूलती धूप
3
जेठ
माहिया 35-51
35
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
माहिया 35-51
35
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
माहिया-35-51
35
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
माहिया-35-51
35
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
माहिया-35-51
35
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
जीवन इक सपना है -माहिया 1-16
डॉ हरदीप कौर सन्धु
1.
भावों का मेला है
इस जग- जंगल में
मन निपट अकेला है ।
2.
ख़त माँ का आया है
मुझको पंख
1.
भावों का मेला है
इस जग- जंगल में
मन निपट अकेला है ।
2.
ख़त माँ का आया है
मुझको पंख
माहिया 37-46
37
जीवन था चन्दन-वन
ऐसी आग लगी
झुलसा है तन औ मन ।
38
क्या रूप निराले हैं
वेश धरे उजले
मन इनके काले हैं ।
39
उपदेश
जीवन था चन्दन-वन
ऐसी आग लगी
झुलसा है तन औ मन ।
38
क्या रूप निराले हैं
वेश धरे उजले
मन इनके काले हैं ।
39
उपदेश
माहिया 37-46
37
जीवन था चन्दन-वन
ऐसी आग लगी
झुलसा है तन औ मन ।
38
क्या रूप निराले हैं
वेश धरे उजले
मन इनके काले हैं ।
39
उपदेश
जीवन था चन्दन-वन
ऐसी आग लगी
झुलसा है तन औ मन ।
38
क्या रूप निराले हैं
वेश धरे उजले
मन इनके काले हैं ।
39
उपदेश
माहिया 25-36
25
साध यही मन में-
तेरी पीर हरूँ
मैं हर पल जीवन में ।
26
जो मुझको दान दिया ।
तुमको पता नहीं
कितना अहसान किया
साध यही मन में-
तेरी पीर हरूँ
मैं हर पल जीवन में ।
26
जो मुझको दान दिया ।
तुमको पता नहीं
कितना अहसान किया
माहिया 13-24
13
आँसू सब पी लेंगे
जो दु:ख तेरे हैं
उनको ले जी लेंगे
14
मन की तुम मूरत हो
जितने रूप मिले
उनकी तुम सूरत
आँसू सब पी लेंगे
जो दु:ख तेरे हैं
उनको ले जी लेंगे
14
मन की तुम मूरत हो
जितने रूप मिले
उनकी तुम सूरत
माहिया 13-24
13
आँसू सब पी लेंगे
जो दु:ख तेरे हैं
उनको ले जी लेंगे
14
मन की तुम मूरत हो
जितने रूप मिले
उनकी तुम सूरत
आँसू सब पी लेंगे
जो दु:ख तेरे हैं
उनको ले जी लेंगे
14
मन की तुम मूरत हो
जितने रूप मिले
उनकी तुम सूरत
माहिया1-12
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1.
ये भोर सुहानी है
चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
सूरज सैलानी है
2.
आँसू जब बहते
1.
ये भोर सुहानी है
चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
सूरज सैलानी है
2.
आँसू जब बहते
माहिया1-12
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1.
ये भोर सुहानी है
चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
सूरज सैलानी है
2.
आँसू जब बहते
1.
ये भोर सुहानी है
चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
सूरज सैलानी है
2.
आँसू जब बहते
हम तो हैं उनके -माहिया-23-33
23
मन यूँ ना मुरझाना
बीत गईं खुशियाँ
गम को भी टुर जाना ।
24
रुत बदली -बदली है
अपना राज लगे
अपनी -सी ढपली है
मन यूँ ना मुरझाना
बीत गईं खुशियाँ
गम को भी टुर जाना ।
24
रुत बदली -बदली है
अपना राज लगे
अपनी -सी ढपली है
सागर क्यूँ खारा है ?माहिया 12-22
12
कल बात कहाँ छोड़ी
सच तक जाती थी
वो राह कहाँ मोड़ी ।
13
नस नस में घोटाला
तन उनका उजला
पर मन कितना काला !
14
कैसे
कल बात कहाँ छोड़ी
सच तक जाती थी
वो राह कहाँ मोड़ी ।
13
नस नस में घोटाला
तन उनका उजला
पर मन कितना काला !
14
कैसे
दरिया में पानी ना (माहिया)1-11
डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
रुत ये वासंती है
चरणों में हमको
ले लो ये विनती है ।
2
दो बूँद दया बरसे
हम भी हैं तेरे
माहिया-35-51
35
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
माहिया 35-51
35
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
माहिया 35-51
35
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
हम रीत न तोड़ेंगे
बचपन की यादें
सीपी में जोडेंगे ।
36
पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं
माहिया 1-17
1
शबनम के गहने हैं
नभ ने भेजे हैं
धरती ने पहने हैं ।
2
तुम कैसे मानोगे
पीड़ा मौन रही
तुम कैसे जानोगे
शबनम के गहने हैं
नभ ने भेजे हैं
धरती ने पहने हैं ।
2
तुम कैसे मानोगे
पीड़ा मौन रही
तुम कैसे जानोगे
माहिया 18-34
18
तरुवर की छाया है
मौसम बदलेगा
कुछ दिन की माया है ।
19
अपनों से डरते हो
अखियाँ बंद करूँ
सपनो में सजते हो
तरुवर की छाया है
मौसम बदलेगा
कुछ दिन की माया है ।
19
अपनों से डरते हो
अखियाँ बंद करूँ
सपनो में सजते हो
माहिया 1-17
1
शबनम के गहने हैं
नभ ने भेजे हैं
धरती ने पहने हैं ।
2
तुम कैसे मानोगे
पीड़ा मौन रही
तुम कैसे जानोगे
शबनम के गहने हैं
नभ ने भेजे हैं
धरती ने पहने हैं ।
2
तुम कैसे मानोगे
पीड़ा मौन रही
तुम कैसे जानोगे
बुधवार, 26 दिसंबर 2012
kiya hoga
"क्या होगा"
गुस्सा कर....
अपना माथा
फोड कर
क्या होगा
जमीन से
आकाश में
वार कर
क्या होगा
समुद्र
गुस्सा कर....
अपना माथा
फोड कर
क्या होगा
जमीन से
आकाश में
वार कर
क्या होगा
समुद्र
नब बर्ष (2013)
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा
25-ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है-gazal
== ग़ज़ल ==
ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है =
मुहब्बत की किनज़र से देखने की बस जरुरत है =
वो मेरे बिन
ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है =
मुहब्बत की किनज़र से देखने की बस जरुरत है =
वो मेरे बिन
06-मुझको जन्नत न बाग़े इरम चाहिए
नात - ए - रसूल=
मुझको जन्नत न बाग़े इरम चाहिए=
रब के दिलबर का नक़्शे क़दम चाहिए=
मेरी आँखे तरसती है दीदार को=
मुझको जन्नत न बाग़े इरम चाहिए=
रब के दिलबर का नक़्शे क़दम चाहिए=
मेरी आँखे तरसती है दीदार को=
26-लगते हो क्यूं ख़फ़ा ख़फ़ा ऐसा हुआ है क्या gazal
== ग़ज़ल==
लगते हो क्यूं ख़फ़ा ख़फ़ा ऐसा हुआ है क्या=
ऐ ना खुदा बता दे हमारी ख़ता है क्या =
इस चांदनी में
लगते हो क्यूं ख़फ़ा ख़फ़ा ऐसा हुआ है क्या=
ऐ ना खुदा बता दे हमारी ख़ता है क्या =
इस चांदनी में
25-ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है-gazal
== ग़ज़ल ==
ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है =
मुहब्बत नज़र से देखने की बस जरुरत है =
वो मेरे बिन
ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है =
मुहब्बत नज़र से देखने की बस जरुरत है =
वो मेरे बिन
मंगलवार, 25 दिसंबर 2012
Instrumental Bhajan - Vaishnav jan to tene kahie.
Instrumental Bhajan - Vaishnav jan to tene kahie.
DEAR FRIENDS,
I PLAYED ELE.HAWAIIAN GUITAR INSTRUMENTAL
"Vaishnav jan to tene kahie."
WITH HELP OF SONUUS G2M, ROLAND XP 30 AND MY ELE.GUITAR.
MY YOUNG LOVELY DAUGHTER NAME -
KHUSHBU DAVE HAD SANG ALAP IN THIS
DEAR FRIENDS,
I PLAYED ELE.HAWAIIAN GUITAR INSTRUMENTAL
"Vaishnav jan to tene kahie."
WITH HELP OF SONUUS G2M, ROLAND XP 30 AND MY ELE.GUITAR.
MY YOUNG LOVELY DAUGHTER NAME -
KHUSHBU DAVE HAD SANG ALAP IN THIS
शाम
किस कदर खामोश थी मुलाकात की शाम,
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
शाम
किस कदर खामोश थी मुलाकात की शाम,
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
शाम
किस कदर खामोश थी मुलाकात की शाम,
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
शाम
किस कदर खामोश थी मुलाकात की शाम,
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
शाम
किस कदर खामोश थी मुलाकात की शाम,
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
शाम
किस कदर खामोश थी मुलाकात की शाम,
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
शाम
किस कदर खामोश थी मुलाकात की शाम,
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
शाम
किस कदर खामोश थी मुलाकात की शाम,
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
हम थे तुम थे और हवाओ पर नन्हे पैग़ाम,
कि तेरी हर मुस्कान पर तारे खिल उठते है,
तेरी आँखो
06-मुझको जन्नत न बाग़े इरम चाहिए
नात - ए - रसूल=
मुझको जन्नत न बाग़े इरम चाहिए=
रब के दिलबर का नक़्शे क़दम चाहिए=
मेरी आँखे तरसती है दीदार को=
मुझको जन्नत न बाग़े इरम चाहिए=
रब के दिलबर का नक़्शे क़दम चाहिए=
मेरी आँखे तरसती है दीदार को=
24-मुश्क़िलों में दिल के भी रिश्ते पुराने हो गए =gazal
--ग़ज़ल==
मुश्क़िलों में दिल के भी रिश्ते पुराने हो गए =
ग़ैर से क्या हो गिला अपने बेगाने हो गए =
अबभी
मुश्क़िलों में दिल के भी रिश्ते पुराने हो गए =
ग़ैर से क्या हो गिला अपने बेगाने हो गए =
अबभी
16-इश्क तुमसे किया नहीं होता -gazal
-- ग़ज़ल --
इश्क तुमसे किया नहीं होता -
जिन्दगी में मज़ा नहीं होता -
रात भी यूँ हँसी नहीं होती -
दिन भी यूँ
इश्क तुमसे किया नहीं होता -
जिन्दगी में मज़ा नहीं होता -
रात भी यूँ हँसी नहीं होती -
दिन भी यूँ
16-इश्क तुमसे किया नहीं होता -gazal
-- ग़ज़ल --
इश्क तुमसे किया नहीं होता -
जिन्दगी में मज़ा नहीं होता -
रात भी यूँ हँसी नहीं होती -
दिन भी यूँ
इश्क तुमसे किया नहीं होता -
जिन्दगी में मज़ा नहीं होता -
रात भी यूँ हँसी नहीं होती -
दिन भी यूँ
08-ये दिल बेचैन होता है, कलेजा काँप जाता है
याद-ए-हुसैन ..
ये दिल बेचैन होता है, कलेजा काँप जाता है !
वो मंज़र कर्बला का जिस घड़ी भी याद आता है !
रहे हैं भूखे
ये दिल बेचैन होता है, कलेजा काँप जाता है !
वो मंज़र कर्बला का जिस घड़ी भी याद आता है !
रहे हैं भूखे
22-यूँ मजहबों में बंट के ना संसार बांटिये- gazal
ग़ज़ल
यूँ मजहबों में बंट के ना संसार बांटिये !
कुछ बांटना है आपको तो प्यार बांटिये !!
आंगन मे खून कि न
यूँ मजहबों में बंट के ना संसार बांटिये !
कुछ बांटना है आपको तो प्यार बांटिये !!
आंगन मे खून कि न
23-हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं
--ग़ज़ल --
हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं -
क्यूं मिलने से कतराते हैं, क्यूं वो आँख चुराते
हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं -
क्यूं मिलने से कतराते हैं, क्यूं वो आँख चुराते
23-हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं
--ग़ज़ल --
हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं -
क्यूं मिलने से कतराते हैं, क्यूं वो आँख चुराते
हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं -
क्यूं मिलने से कतराते हैं, क्यूं वो आँख चुराते
23-हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं
--ग़ज़ल --
हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं -
क्यूं मिलने से कतराते हैं, क्यूं वो आँख चुराते
हम तो उनके प्यार की शम्मां दिल में जलाए बैठे हैं -
क्यूं मिलने से कतराते हैं, क्यूं वो आँख चुराते
01- इब्तदा तुझी से है इन्तहा तुझी से है-हम्द
-- हम्द--
इब्तदा तुझी से है इन्तहा तुझी से है -
ये निज़ाम दुनिया का ऐ खुदा तुझी से है -
जिन्नों इंसा बहरो
इब्तदा तुझी से है इन्तहा तुझी से है -
ये निज़ाम दुनिया का ऐ खुदा तुझी से है -
जिन्नों इंसा बहरो
21-हार कर रुकना नहीं ग़र तेरी मंजिल दूर है
-- ग़ज़ल --
हार कर रुकना नहीं ग़र तेरी मंजिल दूर है !
ठोकरें खाकर सम्हलना वक्त का दस्तूर है !
हौसले
हार कर रुकना नहीं ग़र तेरी मंजिल दूर है !
ठोकरें खाकर सम्हलना वक्त का दस्तूर है !
हौसले
8-ये दिल बेचैन होता है, कलेजा काँप जाता है
याद-ए-हुसैन ..
ये दिल बेचैन होता है, कलेजा काँप जाता है !
वो मंज़र कर्बला का जिस घड़ी भी याद आता है !
रहे हैं भूखे
ये दिल बेचैन होता है, कलेजा काँप जाता है !
वो मंज़र कर्बला का जिस घड़ी भी याद आता है !
रहे हैं भूखे
इश्क तुमसे किया नहीं होता -gazal
-- ग़ज़ल --
इश्क तुमसे किया नहीं होता -
जिन्दगी में मज़ा नहीं होता -
रात भी यूँ हँसी नहीं होती -
दिन भी यूँ
इश्क तुमसे किया नहीं होता -
जिन्दगी में मज़ा नहीं होता -
रात भी यूँ हँसी नहीं होती -
दिन भी यूँ
यूँ मजहबों में बंट के ना संसार बांटिये- gazal
ग़ज़ल
यूँ मजहबों में बंट के ना संसार बांटिये !
कुछ बांटना है आपको तो प्यार बांटिये !!
आंगन मे खून कि न
यूँ मजहबों में बंट के ना संसार बांटिये !
कुछ बांटना है आपको तो प्यार बांटिये !!
आंगन मे खून कि न
जनाजा
जनाजा
कलम लडखडाने लगी है
सच् बोलनेको
लहरें मार रही है
सियाही
पर
लेखक के सामने
यह कटघरा क्यों ?
क्या तुक
कलम लडखडाने लगी है
सच् बोलनेको
लहरें मार रही है
सियाही
पर
लेखक के सामने
यह कटघरा क्यों ?
क्या तुक
सोमवार, 24 दिसंबर 2012
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!!!
ये सच है,
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
जज़्बात पर हावी यकीनन धाक हो गयी है
गजल
जज़्बात पर हावी यकीनन धाक हो गयी है
दिल्ली की सल्तनत बड़ी नापाक हो गयी है ।
नुमाइंदे आवाम के बसते हैं जिस
जज़्बात पर हावी यकीनन धाक हो गयी है
दिल्ली की सल्तनत बड़ी नापाक हो गयी है ।
नुमाइंदे आवाम के बसते हैं जिस
रविवार, 23 दिसंबर 2012
बेबस मन
आजकल
भागता है मन
तुम्हारी तरफ
अधिकार नहीं रहा
स्वयं पर
प्रत्येक क्षण
मिलने की प्रबल इच्छा
तुम्हें देखने की
भागता है मन
तुम्हारी तरफ
अधिकार नहीं रहा
स्वयं पर
प्रत्येक क्षण
मिलने की प्रबल इच्छा
तुम्हें देखने की
ek azad panchi udne ko chala
ek azad panchi udne ko chala
age rakh ashaon ko..
bandhan sare tod ke chala..
kate hue paron ko jhankjhor ke chala..
ek azad panchi udne ko chala..
piche sare apne rhe gae
par vo apno ke liye apno se door chala..
bhool ke sari yadein
kuch banne ko chala..
ek
age rakh ashaon ko..
bandhan sare tod ke chala..
kate hue paron ko jhankjhor ke chala..
ek azad panchi udne ko chala..
piche sare apne rhe gae
par vo apno ke liye apno se door chala..
bhool ke sari yadein
kuch banne ko chala..
ek
समोसे
गरम समोसे हमने परोसे
बोले भईया खालो
मुँह मे हमरे छाले हैं
इनको दूर हटा लो
इनको दूर हटा लो
वरना हमसे रहा ना
बोले भईया खालो
मुँह मे हमरे छाले हैं
इनको दूर हटा लो
इनको दूर हटा लो
वरना हमसे रहा ना
azad panchi
ek azad panchi udne ko chala
age rakh ashaon ko..
bandhan sare tod ke chala..
kate hue paron ko jhankjhor ke chala..
ek azad panchi udne ko chala..
piche sare apne rhe gae
par vo apno ke liye apno se door chala..
bhool ke sari yadein
kuch banne ko chala..
ek
age rakh ashaon ko..
bandhan sare tod ke chala..
kate hue paron ko jhankjhor ke chala..
ek azad panchi udne ko chala..
piche sare apne rhe gae
par vo apno ke liye apno se door chala..
bhool ke sari yadein
kuch banne ko chala..
ek
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!!!
ये सच है,
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!!!
ये सच है,
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!!!
ये सच है,
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!!!
ये सच है,
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
मुझे मंज़िल की तलाश नहीं!
क्योंकि, मंज़िलों पर पहुंचकर,
बैठ जाते हैं, लोग...
आराम से,
इत्मिनान
तुमने काटा है बहुत मुझे
तुमने काटा है बहुत मुझे
मैं कुछ नही बोला
सोचा तुम्हारी जरूरत है
पर अब लगता है तुम्हारा
लालच बढ़ता ही जा रहा
मैं कुछ नही बोला
सोचा तुम्हारी जरूरत है
पर अब लगता है तुम्हारा
लालच बढ़ता ही जा रहा
Geet-Nahi Hote
vishdharon beech rahe tab jana,
vish insano me jyada hai.
vishdhar bhi insano ki tarah,
hridaya heen nahi hote.
insani vish dansho ke,
nidan nahi hote.
peeda ke sagar math jana,
har sagar me ratan nahi hote.
amrit pas jo hota apne to,
kandho par lash nahi dhote.
swet pankh wale bagulo
vish insano me jyada hai.
vishdhar bhi insano ki tarah,
hridaya heen nahi hote.
insani vish dansho ke,
nidan nahi hote.
peeda ke sagar math jana,
har sagar me ratan nahi hote.
amrit pas jo hota apne to,
kandho par lash nahi dhote.
swet pankh wale bagulo
दिल्लि गेन्ग रेप ओर एक सबक
Main……ek ladka…… jiska Rape hone ke chances negligible hai…..
Maine suna hai Delhi main ek rape hua hai…
Ab itna bada mulk or ghar ghar main laga tv.
Har hanth main rakha mobile
Or phir ye naya sirdard facebook
Choti choti chejo ko lekar log hyper emotional kyo ho jate hai…
Abhi
Maine suna hai Delhi main ek rape hua hai…
Ab itna bada mulk or ghar ghar main laga tv.
Har hanth main rakha mobile
Or phir ye naya sirdard facebook
Choti choti chejo ko lekar log hyper emotional kyo ho jate hai…
Abhi
दिल्लि गेन्ग रेप ओर एक सबक
Main……ek ladka…… jiska Rape hone ke chances negligible hai…..
Maine suna hai Delhi main ek rape hua hai…
Ab itna bada mulk or ghar ghar main laga tv.
Har hanth main rakha mobile
Or phir ye naya sirdard facebook
Choti choti chejo ko lekar log hyper emotional kyo ho jate hai…
Abhi
Maine suna hai Delhi main ek rape hua hai…
Ab itna bada mulk or ghar ghar main laga tv.
Har hanth main rakha mobile
Or phir ye naya sirdard facebook
Choti choti chejo ko lekar log hyper emotional kyo ho jate hai…
Abhi
भारतवर्ष
वो किस राह का भटका पथिक है ?
मेगस्थिनिस बन बैठा है
चन्द्रगुप्त के दरबार में
लिखता चुटकुले
दैनिक अखबार में
मेगस्थिनिस बन बैठा है
चन्द्रगुप्त के दरबार में
लिखता चुटकुले
दैनिक अखबार में
राष्ट्रगान
जहां प्यार करने के लिए
दिल होने से ज्यादा गुंडा होना ज़रूरी है |
जहां ‘सत्य’ शब्द का इस्तेमाल
केवल अर्थी ले जाने
दिल होने से ज्यादा गुंडा होना ज़रूरी है |
जहां ‘सत्य’ शब्द का इस्तेमाल
केवल अर्थी ले जाने
चप्पल से लिपटी चाहतें
चाहता हूँ
एक पुरानी डायरी
कविता लिखने के लिए
एक कोरा काग़ज़
चित्र बनाने के लिए
एक शांत कोना
पृथ्वी का
गुनगुनाने
एक पुरानी डायरी
कविता लिखने के लिए
एक कोरा काग़ज़
चित्र बनाने के लिए
एक शांत कोना
पृथ्वी का
गुनगुनाने
चिड़ियाघर
एक रोज़ चिड़ियाघर में मचा बवाल
कुछ जानवरों ने किया हड़ताल, कहा- करो हमें स्वतंत्र
निकाल फेंका चिड़ियाघर के सभी
कुछ जानवरों ने किया हड़ताल, कहा- करो हमें स्वतंत्र
निकाल फेंका चिड़ियाघर के सभी
संतुलन
मेरे नगर में
मर रहे हैं पूर्वज
ख़त्म हो रही हैं स्मृतियाँ
अदृश्य सम्वाद !
किसी की नहीं याद -
हम ग़ुलाम अच्छे थे
या
मर रहे हैं पूर्वज
ख़त्म हो रही हैं स्मृतियाँ
अदृश्य सम्वाद !
किसी की नहीं याद -
हम ग़ुलाम अच्छे थे
या
भौतिकी
याद हैं वो दिन संदीपनजब हमरात भर जाग करहल करते थेरेसनिक हेलिडेएच सी वर्माइरोडोव ? हम ढूंढते थे वो एक सूत्रजिसमे
जूते
इन भूरे जूतों ने
तय किए हैं
कितने ही सफ़र !
चक्खा है इन्होंने
समुद्र का खारापन
थिरके हैं ये
पहाड़ी लोकगीत पर
और
तय किए हैं
कितने ही सफ़र !
चक्खा है इन्होंने
समुद्र का खारापन
थिरके हैं ये
पहाड़ी लोकगीत पर
और
जनपथ
जनपथ में सजा है दरबार
गुज़रता है बच्चा
बेचता रंगीन अख़बार
“आज की ताज़ा ख़बर -
फलानां दुकान में भारी छूट !
आज की
गुज़रता है बच्चा
बेचता रंगीन अख़बार
“आज की ताज़ा ख़बर -
फलानां दुकान में भारी छूट !
आज की
कोई तो है!
कोई तो है!
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है।
मैं जो लिखता हूं वह
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है।
मैं जो लिखता हूं वह
फुटपाथ
फुटपाथ
सिकुड़कर फटि हुई कपड़ो मे
गठरीनुमा होता जारहा है वह
मायुस सा
आँखो मे प्रचुर गम्भीरता लिए
सिकुड़कर फटि हुई कपड़ो मे
गठरीनुमा होता जारहा है वह
मायुस सा
आँखो मे प्रचुर गम्भीरता लिए
जनाजा
जनाजा
कलम लडखडाने लगी है
सच् बोलनेको
लहरें मार रही है
सियाही
पर
लेखक के सामने
यह कटघरा क्यों ?
क्या तुक
कलम लडखडाने लगी है
सच् बोलनेको
लहरें मार रही है
सियाही
पर
लेखक के सामने
यह कटघरा क्यों ?
क्या तुक
पीने की महिमा
पीने की महिमा
रात गुजारते हम मैखाने मे,
दिन गुजरता पीने की चाहत मे;
पीते जो खुशीया मनाने,गम को भुलाने,
या दिलवर के
रात गुजारते हम मैखाने मे,
दिन गुजरता पीने की चाहत मे;
पीते जो खुशीया मनाने,गम को भुलाने,
या दिलवर के
तुम पराई "हो-ली"
तुम पराई "हो-ली"
प्रिये ! तुम तो पराई "हो-ली";
छिपुं बिस्मृती के अंधकार मे,
उसके पहले हृदय पलट पे,
मेरे
प्रिये ! तुम तो पराई "हो-ली";
छिपुं बिस्मृती के अंधकार मे,
उसके पहले हृदय पलट पे,
मेरे
यादो की परछाई
यादो की परछाई
यादो के झुरमुट से कोई पत्ता,
उड़ते हुवे आया;
उस पर कुछ धुल जमी थी,
मन है कि मचल पड़ा!
पुरानी
यादो के झुरमुट से कोई पत्ता,
उड़ते हुवे आया;
उस पर कुछ धुल जमी थी,
मन है कि मचल पड़ा!
पुरानी
नज़र का खेल
नज़र का खेल
नज़र उठी-नज़र गिरी-नज़र मिलाकर ;
नज़र फड़की- नज़र मिली, नज़र हुई चार,
नज़र की नज़ाकत का यह नाजूक नज़राना ।
नज़र का
नज़र उठी-नज़र गिरी-नज़र मिलाकर ;
नज़र फड़की- नज़र मिली, नज़र हुई चार,
नज़र की नज़ाकत का यह नाजूक नज़राना ।
नज़र का
खुद की नज़र मे गिरा!!!
खुद की नज़र मे गिरा!!!
मंजिल बदल लेने से रास्ते बदलते नहीं ;
आईने मे तस्वीर मेरी रुहु से नहीं मिलती,
हम जींदे तो खड़े
मंजिल बदल लेने से रास्ते बदलते नहीं ;
आईने मे तस्वीर मेरी रुहु से नहीं मिलती,
हम जींदे तो खड़े
इन्सानी फ़ितरत
इन्सानी फ़ितरत
अक्सर ऐसा होता किया भला जिसका,
वह ही शक्स बुरा चाहता क्यो उसीका!
शायद तभी कहे नेकी कर दरिया मे
अक्सर ऐसा होता किया भला जिसका,
वह ही शक्स बुरा चाहता क्यो उसीका!
शायद तभी कहे नेकी कर दरिया मे
मेरी लोभी आकंक्ष्या
मेरी लोभी आकंक्ष्या
मेरी आकंक्ष्या या लक्ष्य;
जीवन की विषम त्रासदी!
मेरा चरित्र का शंसय,
किसलिये,किस का ......
लिये
मेरी आकंक्ष्या या लक्ष्य;
जीवन की विषम त्रासदी!
मेरा चरित्र का शंसय,
किसलिये,किस का ......
लिये
स्वप्न बुनना
स्वप्न बुनना
जब देखता हूँ ;
बिछोने पर बैठी,
हज़ारों फंदे डाल,
बेटे के लिये,जाड़े मे,
क्रोशिए से स्वेटर बुनते!
सोचता
जब देखता हूँ ;
बिछोने पर बैठी,
हज़ारों फंदे डाल,
बेटे के लिये,जाड़े मे,
क्रोशिए से स्वेटर बुनते!
सोचता
पाषाण मूर्ती !!
पाषाण मूर्ती !!
क्यों किसी कारीगर के चिंतन को,
तेरा ही चेहरा मिला पत्थरों के लिये,
कैसे? पर्दा उठाना है इस रहस्य
क्यों किसी कारीगर के चिंतन को,
तेरा ही चेहरा मिला पत्थरों के लिये,
कैसे? पर्दा उठाना है इस रहस्य
पाषाण मूर्ती !!
पाषाण मूर्ती !!
क्यों किसी कारीगर के चिंतन को,
तेरा ही चेहरा मिला पत्थरों के लिये,
कैसे? पर्दा उठाना है इस रहस्य
क्यों किसी कारीगर के चिंतन को,
तेरा ही चेहरा मिला पत्थरों के लिये,
कैसे? पर्दा उठाना है इस रहस्य
शनिवार, 22 दिसंबर 2012
तुमने काटा है बहुत मुझे
तुमने काटा है बहुत मुझे
मैं कुछ नही बोला
सोचा तुम्हारी जरूरत है
पर अब लगता है तुम्हारा
लालच बढ़ता ही जा रहा
मैं कुछ नही बोला
सोचा तुम्हारी जरूरत है
पर अब लगता है तुम्हारा
लालच बढ़ता ही जा रहा
जनपथ
जनपथ में सजा है दरबार
गुज़रता है बच्चा
बेचता रंगीन अख़बार
“आज की ताज़ा ख़बर -
फलानां दुकान में भारी छूट !
आज की
गुज़रता है बच्चा
बेचता रंगीन अख़बार
“आज की ताज़ा ख़बर -
फलानां दुकान में भारी छूट !
आज की
जूते
इन भूरे जूतों ने
तय किए हैं
कितने ही सफ़र !
चक्खा है इन्होंने
समुद्र का खारापन
थिरके हैं ये
पहाड़ी लोकगीत पर
और
तय किए हैं
कितने ही सफ़र !
चक्खा है इन्होंने
समुद्र का खारापन
थिरके हैं ये
पहाड़ी लोकगीत पर
और
भौतिकी
याद हैं वो दिन संदीपनजब हमरात भर जाग करहल करते थेरेसनिक हेलिडेएच सी वर्माइरोडोव ? हम ढूंढते थे वो एक सूत्रजिसमे
संतुलन
मेरे नगर में
मर रहे हैं पूर्वज
ख़त्म हो रही हैं स्मृतियाँ
अदृश्य सम्वाद !
किसी की नहीं याद -
हम ग़ुलाम अच्छे थे
या
मर रहे हैं पूर्वज
ख़त्म हो रही हैं स्मृतियाँ
अदृश्य सम्वाद !
किसी की नहीं याद -
हम ग़ुलाम अच्छे थे
या
चिड़ियाघर
एक रोज़ चिड़ियाघर में मचा बवाल
कुछ जानवरों ने किया हड़ताल, कहा- करो हमें स्वतंत्र
निकाल फेंका चिड़ियाघर के सभी
कुछ जानवरों ने किया हड़ताल, कहा- करो हमें स्वतंत्र
निकाल फेंका चिड़ियाघर के सभी
चप्पल से लिपटी चाहतें
चाहता हूँ
एक पुरानी डायरी
कविता लिखने के लिए
एक कोरा काग़ज़
चित्र बनाने के लिए
एक शांत कोना
पृथ्वी का
गुनगुनाने
एक पुरानी डायरी
कविता लिखने के लिए
एक कोरा काग़ज़
चित्र बनाने के लिए
एक शांत कोना
पृथ्वी का
गुनगुनाने
चप्पल से लिपटी चाहतें
चाहता हूँ
एक पुरानी डायरी
कविता लिखने के लिए
एक कोरा काग़ज़
चित्र बनाने के लिए
एक शांत कोना
पृथ्वी का
गुनगुनाने
एक पुरानी डायरी
कविता लिखने के लिए
एक कोरा काग़ज़
चित्र बनाने के लिए
एक शांत कोना
पृथ्वी का
गुनगुनाने
राष्ट्रगान
जहां प्यार करने के लिए
दिल होने से ज्यादा गुंडा होना ज़रूरी है |
जहां ‘सत्य’ शब्द का इस्तेमाल
केवल अर्थी ले जाने
दिल होने से ज्यादा गुंडा होना ज़रूरी है |
जहां ‘सत्य’ शब्द का इस्तेमाल
केवल अर्थी ले जाने
भारतवर्ष
वो किस राह का भटका पथिक है ?
मेगस्थिनिस बन बैठा है
चन्द्रगुप्त के दरबार में
लिखता चुटकुले
दैनिक अखबार में
मेगस्थिनिस बन बैठा है
चन्द्रगुप्त के दरबार में
लिखता चुटकुले
दैनिक अखबार में
नित नया किनारा ...??
अपने सागर में सिमटी ...
अपनी सीमाओं के संग ....
करती है हिलोर ......
मिटने को उठती है प्रत्येक उत्ताल लहर .....
क्यों
अपनी सीमाओं के संग ....
करती है हिलोर ......
मिटने को उठती है प्रत्येक उत्ताल लहर .....
क्यों
koi to hai
कोई तो है!’
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह
koi to hai
कोई तो है!’
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह
मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह
Kavita- Panchayat
dilli ki badi panchayat ne badal di,
ab to garibo ki dunia.
videshi dukano se milega ab to,
adrak aloo bengan dhania.
jhonpadi me ab bhookh ka tufan uthega,
bekar ho jayenge ramu -shyamu-mania.
bethkar sansad me kanoon banane walo,
jan lete kash tum itihas ki kamiya.
east
ab to garibo ki dunia.
videshi dukano se milega ab to,
adrak aloo bengan dhania.
jhonpadi me ab bhookh ka tufan uthega,
bekar ho jayenge ramu -shyamu-mania.
bethkar sansad me kanoon banane walo,
jan lete kash tum itihas ki kamiya.
east
Kavita- Panchayat
dilli ki badi panchayat ne badal di,
ab to garibo ki dunia.
videshi dukano se milega ab to,
adrak aloo bengan dhania.
jhonpadi me ab bhookh ka tufan uthega,
bekar ho jayenge ramu -shyamu-mania.
bethkar sansad me kanoon banane walo,
jan lete kash tum itihas ki kamiya.
east
ab to garibo ki dunia.
videshi dukano se milega ab to,
adrak aloo bengan dhania.
jhonpadi me ab bhookh ka tufan uthega,
bekar ho jayenge ramu -shyamu-mania.
bethkar sansad me kanoon banane walo,
jan lete kash tum itihas ki kamiya.
east
Kavita- Panchayat
dilli ki badi panchayat ne badal di,
ab to garibo ki dunia.
videshi dukano se milega ab to,
adrak aloo bengan dhania.
jhonpadi me ab bhookh ka tufan uthega,
bekar ho jayenge ramu -shyamu-mania.
bethkar sansad me kanoon banane walo,
jan lete kash tum itihas ki kamiya.
east
ab to garibo ki dunia.
videshi dukano se milega ab to,
adrak aloo bengan dhania.
jhonpadi me ab bhookh ka tufan uthega,
bekar ho jayenge ramu -shyamu-mania.
bethkar sansad me kanoon banane walo,
jan lete kash tum itihas ki kamiya.
east
रे ! दुखिया !
रे ! दुखिया !
दुख मे तु रोए !
सुख मे न बोले तु
रे ! दुखिया !
कगनवा झन् झन् करके
सजनवा से झगडे तु
पिया रुठ गए
दुख मे तु रोए !
सुख मे न बोले तु
रे ! दुखिया !
कगनवा झन् झन् करके
सजनवा से झगडे तु
पिया रुठ गए
रे ! दुखिया !
रे ! दुखिया !
दुख मे तु रोए !
सुख मे न बोले तु
रे ! दुखिया !
कगनवा झन् झन् करके
सजनवा से झगडे तु
पिया रुठ गए
दुख मे तु रोए !
सुख मे न बोले तु
रे ! दुखिया !
कगनवा झन् झन् करके
सजनवा से झगडे तु
पिया रुठ गए
दुधवाला
दुधवाला
वो आए चुपके से सबेरे मुझे जगाने
धिरेसे खटखटाके उन्होने दरवाजा
मुझे जगाया
मै कुनमुनाया निंद मे
वो आए चुपके से सबेरे मुझे जगाने
धिरेसे खटखटाके उन्होने दरवाजा
मुझे जगाया
मै कुनमुनाया निंद मे
दुधवाला
दुधवाला
वो आए चुपके से सबेरे मुझे जगानेधिरेसे खटखटाके उन्होने दरवाजामुझे जगाया
मै कुनमुनाया निंद मे
वो आए चुपके से सबेरे मुझे जगानेधिरेसे खटखटाके उन्होने दरवाजामुझे जगाया
मै कुनमुनाया निंद मे
दुधवाला
दुधवाला
वो आए चुपके से सबेरे मुझे जगानेधिरेसे खटखटाके उन्होने दरवाजा
मुझे जगाया
मै कुनमुनाया निंद मे
वो आए चुपके से सबेरे मुझे जगानेधिरेसे खटखटाके उन्होने दरवाजा
मुझे जगाया
मै कुनमुनाया निंद मे
दुधवाला
दुधवाला
वो आए चुपके से सबेरे मुझे जगाने
धिरेसे खटखटाके उन्होने दरवाजा
मुझे जगाया
मै कुनमुनाया निंद मे
वो आए चुपके से सबेरे मुझे जगाने
धिरेसे खटखटाके उन्होने दरवाजा
मुझे जगाया
मै कुनमुनाया निंद मे
Geet- Nahi Hote
vishdharon beech rahe tab jana,
vish insano me jyada hai.
vishdhar bhi insano ki tarah ,
hriday heen nahi hote.
insani vish dansho ke ,
nidan nahi hote.
peeda ke sagar math jana,
har sagar me ratan nahi hote.
amrit pas jo hota apne to,
kandho par lash nahi dhote,
swet
vish insano me jyada hai.
vishdhar bhi insano ki tarah ,
hriday heen nahi hote.
insani vish dansho ke ,
nidan nahi hote.
peeda ke sagar math jana,
har sagar me ratan nahi hote.
amrit pas jo hota apne to,
kandho par lash nahi dhote,
swet
शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012
बेटिया
बेटिया तो एहसास होती है
माँ की ममता और पिता का प्यार होती है
कभी सुबह तो कभी शाम होती है
बेटिया तो एहसास होती
माँ की ममता और पिता का प्यार होती है
कभी सुबह तो कभी शाम होती है
बेटिया तो एहसास होती
बेटिया
बेटिया तो एहसास होती है
माँ की ममता और पिता का प्यार होती है
कभी सुबह तो कभी शाम होती है
बेटिया तो एहसास होती है
माँ की ममता और पिता का प्यार होती है
कभी सुबह तो कभी शाम होती है
बेटिया तो एहसास होती है
भले लोगो का इस शहर में..........
भले लोगों का इस शहर में
कबसे आना जाना है?
सूनी सड़के, टूटी राहें
लगता सब विराना है
छुप जाते हैं चलते चलते
काली
कबसे आना जाना है?
सूनी सड़के, टूटी राहें
लगता सब विराना है
छुप जाते हैं चलते चलते
काली
बेला हेमंत उषा की आई .....!!
बेला हेमंत उषा की आई .....!!
पनिहारिन मुस्काई ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला
पनिहारिन मुस्काई ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला
पुनः ..... बूँद बूँद ओस.....!!
सुषुप्ति छाई ....गहरी थी निद्रा ....
शीतस्वाप जैसा .. .. ....सीत निद्रा में था श्लथ मन ........!!
न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न
शीतस्वाप जैसा .. .. ....सीत निद्रा में था श्लथ मन ........!!
न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न
सब है अपने
छाया घना कोहरा है,
आँखों के आगे अँधेरा है,
सपनो को तोड़ते मड़ोड़ते,
चलते कई राक्षस ...
करो सूरज की चाहत,
देखो
आँखों के आगे अँधेरा है,
सपनो को तोड़ते मड़ोड़ते,
चलते कई राक्षस ...
करो सूरज की चाहत,
देखो
नई सुबह....!!
अँधेरे कमरे की
खिड़की से-
देख रही थी मैं--
प्रकृति का करिश्मा....!! ,
व्योम को निर्निमेष
खिड़की से-
देख रही थी मैं--
प्रकृति का करिश्मा....!! ,
व्योम को निर्निमेष
नई सुबह....!!
अँधेरे कमरे की
खिड़की से-
देख रही थी मैं--
प्रकृति का करिश्मा....!! ,
व्योम को निर्निमेष
खिड़की से-
देख रही थी मैं--
प्रकृति का करिश्मा....!! ,
व्योम को निर्निमेष
वक्त अभी का वापस ना आएगा
वक्त अभी का वापस ना आएगा जीलो शिद्दत से इस पल को,
ताकि खुद ही से शिकायत नही हो अफसोस करते हुए कल को.
ताकि खुद ही से शिकायत नही हो अफसोस करते हुए कल को.
सब है अपने
छाया घना कोहरा है,
आँखों के आगे अँधेरा है,
सपनो को तोड़ते मड़ोड़ते,
चलते कई राक्षस ...
करो सूरज की चाहत,
देखो
आँखों के आगे अँधेरा है,
सपनो को तोड़ते मड़ोड़ते,
चलते कई राक्षस ...
करो सूरज की चाहत,
देखो
गुरुवार, 20 दिसंबर 2012
नई सुबह....!!
अँधेरे कमरे की
खिड़की से-
देख रही थी मैं--
प्रकृति का करिश्मा....!! ,
व्योम को निर्निमेष
खिड़की से-
देख रही थी मैं--
प्रकृति का करिश्मा....!! ,
व्योम को निर्निमेष
पुनः ..... बूँद बूँद ओस.....!!
सुषुप्ति छाई ....गहरी थी निद्रा ....
शीतस्वाप जैसा .. .. ....सीत निद्रा में था श्लथ मन ........!!
न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न
शीतस्वाप जैसा .. .. ....सीत निद्रा में था श्लथ मन ........!!
न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न
बेला हेमंत उषा की आई .....!!
बेला हेमंत उषा की आई .....!!
पनिहारिन मुस्काई ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला
पनिहारिन मुस्काई ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला
बेला हेमंत उषा की आई .....!!
बेला हेमंत उषा की आई .....!!
पनिहारिन मुस्काई ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला
पनिहारिन मुस्काई ...
ओस झरी प्रेम भरी ...
रस गागर भर भर लाई ....!!
चहुँ ओर जागृति छाई ....
बेला
धार बनी नदिया की ....!!
छवि मन भावे ...
नयन समावे ..
सूरतिया पिया की ...
बन बन .. ढूँढूँ ..
घन बन बिचरूं .....
धार बनी नदिया
नयन समावे ..
सूरतिया पिया की ...
बन बन .. ढूँढूँ ..
घन बन बिचरूं .....
धार बनी नदिया
निर्मल निर्लेप नीला आकाश ...
निर्मल निर्लेप नीला आकाश ...
देता है वो विस्तार .....
कि तरंगित हो जाती है कल्पना ...
नाद सी.......हो साकार ....
अकस्मात
देता है वो विस्तार .....
कि तरंगित हो जाती है कल्पना ...
नाद सी.......हो साकार ....
अकस्मात
Talash Hai Kisiki
Talash Hai Kisi Ki Tanha Zindagi Mein
Kahan Dhundhoon Mai Tujhe Is Alam-e-Bebasi Mein
Kis Ko Sunaye Hum Dard-e-Dil Apne
Milta Nahi Koi Humsafar Is
Kahan Dhundhoon Mai Tujhe Is Alam-e-Bebasi Mein
Kis Ko Sunaye Hum Dard-e-Dil Apne
Milta Nahi Koi Humsafar Is
Talash Hai Kisiki
Talash Hai Kisi Ki Tanha Zindagi Mein
Kahan Dhundhoon Mai Tujhe Is Alam-e-Bebasi Mein
Kis Ko Sunaye Hum Dard-e-Dil Apne
Milta Nahi Koi Humsafar Is
Kahan Dhundhoon Mai Tujhe Is Alam-e-Bebasi Mein
Kis Ko Sunaye Hum Dard-e-Dil Apne
Milta Nahi Koi Humsafar Is
SHAYARI
वक्त अभी का वापस ना आएगा जीलो शिद्दत से इस पल को,
ताकि खुद ही से शिकायत नही हो अफसोस करते हुए कल को.
ताकि खुद ही से शिकायत नही हो अफसोस करते हुए कल को.
SHAYARI
वक्त अभी का वापस ना आएगा जीलो शिद्दत से इस पल को,
ताकि खुद ही से शिकायत नही हो अफसोस करते हुए कल को.
ताकि खुद ही से शिकायत नही हो अफसोस करते हुए कल को.
हिन्दुस्तान की ब्यथा
हिन्दुस्तान की ब्यथा
भारत!
अब न भारद्वाज कि
भारत रही
न अकबर की
हिन्दुस्तान
एक कलियुग का
सुदामा
हाथों मे दिया
भारत!
अब न भारद्वाज कि
भारत रही
न अकबर की
हिन्दुस्तान
एक कलियुग का
सुदामा
हाथों मे दिया
हिन्दुस्तान की ब्यथा
हिन्दुस्तान की ब्यथा
भारत!
अब न भारद्वाज कि
भारत रही
न अकबर की
हिन्दुस्तान
एक कलियुग का
सुदामा
हाथों मे दिया
भारत!
अब न भारद्वाज कि
भारत रही
न अकबर की
हिन्दुस्तान
एक कलियुग का
सुदामा
हाथों मे दिया
सांसों में खुशबू
क्यों तुम दिल के करीब रहते हो
सांसों में खुशबू से बहते हो
जब छूने को बढ़ती हूँ आगे
क्यों दूर रहने को कहते
आओ सुनाऊँ तुम्हें अपनी प्रेम कहानी
आओ सुनाऊँ तुम्हें - अपनी प्रेम कहानी
मेरी कागज की कश्ती - वो बारिश का पानी
----------------------------------------------
वो चुप-चुप रहना - वो
मेरी कागज की कश्ती - वो बारिश का पानी
----------------------------------------------
वो चुप-चुप रहना - वो
बुधवार, 19 दिसंबर 2012
पश्चिमीकरण
पश्चिमीकरण
पश्चिमीकरण से कुछ हो
रहा हो या न हो,
पर, पूरब की माताऐं ममी
और पिता डेड अवश्य हो
रहे
पश्चिमीकरण से कुछ हो
रहा हो या न हो,
पर, पूरब की माताऐं ममी
और पिता डेड अवश्य हो
रहे
दिल में सौ दर्द पाले बहन-बेटियाँ
कोई कैसे संभाले बहन-बेटियां
दिल में सौ दर्द पाले बहन-बेटियां
घर में बांटें उजाले बहन-बेटियां
कामना एक मन में
दिल में सौ दर्द पाले बहन-बेटियां
घर में बांटें उजाले बहन-बेटियां
कामना एक मन में
अनारकली
अनारकली
अकबर के दरबार मे
हुई खलबली
जब शलिम कि एक कनिज से
मोहब्बत हो चली
अकबर दहाडे
कौन न है वो बेगैरत
अकबर के दरबार मे
हुई खलबली
जब शलिम कि एक कनिज से
मोहब्बत हो चली
अकबर दहाडे
कौन न है वो बेगैरत
बस तुम नही हो
बस तुम नही हो
कर्म करो फल की न करो चिन्ता
यह तुमने क्या कह डाला मेरे कृष्ण
तुम्हारे जमाने मे तो एक हि सुदामा
कर्म करो फल की न करो चिन्ता
यह तुमने क्या कह डाला मेरे कृष्ण
तुम्हारे जमाने मे तो एक हि सुदामा
स्त्री की कराह
कराह के राह पर छोड़ दिया, प्यार ने मुझको सींचा ।
पता न था स्त्री होने की इतनी बड़ी सजा होगी ।
चीर दुशासन ने भरी सभा
पता न था स्त्री होने की इतनी बड़ी सजा होगी ।
चीर दुशासन ने भरी सभा
जमीन के अमीन
घर-घर ढूढों व जंजीरे व तक्दीरें
आज आई है इन्तहा की घडीं
जागो ओर देखो अपना गांव अपना देश
जो बना है आज एक शोला
आज पीट
आज आई है इन्तहा की घडीं
जागो ओर देखो अपना गांव अपना देश
जो बना है आज एक शोला
आज पीट
छूट गए साथ निभाने वाले
छूट गए साथ निभाने वाले
वक्त की करनी ही कुछ ऐसी थी
जिसको पूनम का चांद समझा
वो अन्दर से कालिख जैसी थी
वक्त की करनी ही कुछ ऐसी थी
जिसको पूनम का चांद समझा
वो अन्दर से कालिख जैसी थी
छुट गए साथ निभाने वाले
छुट गए साथ निभाने वाले
वक्त की करनी ही कुछ ऐसी थी
जिसको पूनम का ्चान्द समझा
वो अन्दर से कालिख जैसी थी
वक्त की करनी ही कुछ ऐसी थी
जिसको पूनम का ्चान्द समझा
वो अन्दर से कालिख जैसी थी
Koi To Bataye
Koi To Bataye
Thoda-thoda dard hai, thoda thoda ahsas
Thodi si dhup hai, thodi hai barsat
Bhid hai par thodi tanhayi bhi hai aspas
Koi to bataye......
kya karien hum
Kisse ruthein kisse bat karien hum
Thodi berukhi hai thodi dillagi hai
Thodi hai sharm thodi hi behayayi
Mohabbat hai to
Thoda-thoda dard hai, thoda thoda ahsas
Thodi si dhup hai, thodi hai barsat
Bhid hai par thodi tanhayi bhi hai aspas
Koi to bataye......
kya karien hum
Kisse ruthein kisse bat karien hum
Thodi berukhi hai thodi dillagi hai
Thodi hai sharm thodi hi behayayi
Mohabbat hai to
SHAYARI
छुट गए साथ निभाने वाले
वक्त की करनी ही कुछ ऐसी थी
जिसको पूनम का ्चान्द समझा
वो अन्दर से कालिख जैसी थी
वक्त की करनी ही कुछ ऐसी थी
जिसको पूनम का ्चान्द समझा
वो अन्दर से कालिख जैसी थी
SHAYARI
छुट गए साथ निभाने वाले
वक्त की करनी ही कुछ ऐसी थ
जिसको पूनम का ्चान्द समझा
वो अन्दर से कालिख जैसी थी
वक्त की करनी ही कुछ ऐसी थ
जिसको पूनम का ्चान्द समझा
वो अन्दर से कालिख जैसी थी
तुम ना आये
तुम ना आये तुम को मैं तकती रही
रात भर जलती रही गलती रही
ख्वाहिशें मेरी ...सीने में सिसकती रही
तुम ना आये रात भर
रात भर जलती रही गलती रही
ख्वाहिशें मेरी ...सीने में सिसकती रही
तुम ना आये रात भर
Gazel
iss mulk me sab theek hai hifazat ke siwa.
har cheez yahan mehangi hai aurat ki asmat ke siwa.
ghar-ghar-me mukadme hai dil-dil me raqabat hai.
kuch aur nahi dikhta yahan siyasat ke siwa.
kitni besharmi se tarakki ke afsane sunaye jate hai.
sansad me bhi kuch aur nahi ghotalon ke
har cheez yahan mehangi hai aurat ki asmat ke siwa.
ghar-ghar-me mukadme hai dil-dil me raqabat hai.
kuch aur nahi dikhta yahan siyasat ke siwa.
kitni besharmi se tarakki ke afsane sunaye jate hai.
sansad me bhi kuch aur nahi ghotalon ke
मंगलवार, 18 दिसंबर 2012
परख.....
नजरो से तुल ही जाती हे,
हेसियत हर शक्स की |
हो ही जाती हे जहा परख,
वक्त आने पर दक्ष की ||
पट
हेसियत हर शक्स की |
हो ही जाती हे जहा परख,
वक्त आने पर दक्ष की ||
पट
सत्ता की जुगलबंदी
सत्ता की जुगलबंदी
कैसी सोच अपनी है किधर हम जा रहें यारों
गर कोई देखना चाहें बतन मेरे बो आ जाये
तिजोरी में भरा धन
कैसी सोच अपनी है किधर हम जा रहें यारों
गर कोई देखना चाहें बतन मेरे बो आ जाये
तिजोरी में भरा धन
आम हो गये खास
आम हो गये खास
आम ने आम को चाहा,
तो आम खास हो गये,
होकर खास वो,
आम से दूर हो गये,
पूछा जो आम ने,
आप ऐसे कैसे हो गये ?
सुन
आम ने आम को चाहा,
तो आम खास हो गये,
होकर खास वो,
आम से दूर हो गये,
पूछा जो आम ने,
आप ऐसे कैसे हो गये ?
सुन
सोमवार, 17 दिसंबर 2012
चलो,वोट करें।
<a href="http://www.hindisahitya.org/markand-dave/%e0%a4%9a%e0%a4%b2%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a5%8b%e0%a4%9f-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%82%e0%a5%a4/attachment/five/" rel="attachment wp-att-23563"><img
चलो,वोट करें।
<img src="http://mktvfilms.blogspot.in/2012/12/blog-post_17.html" alt="Gujarat elections.2012."
मुक्तक
जिसे तू भगवान कहता है, वो रहमान कहता है।
तू जिसपर जान देता है, उसीपे वो भी मरता है।।
पंडित को गिला कोई न
अनारकली
अनारकली
अकबर के दरबार मे
हुई खलबली
जब शलिम कि एक कनिज से
मोहब्बत हो चली
अकबर दहाडे
कौन न है वो बेगैरत
अकबर के दरबार मे
हुई खलबली
जब शलिम कि एक कनिज से
मोहब्बत हो चली
अकबर दहाडे
कौन न है वो बेगैरत
बस तुम नही हो
बस तुम नही हो
कर्म करो फल की न करो चिन्ता
यह तुमने क्या कह डाला मेरे कृष्ण
तुम्हारे जमाने मे तो एक हि सुदामा
कर्म करो फल की न करो चिन्ता
यह तुमने क्या कह डाला मेरे कृष्ण
तुम्हारे जमाने मे तो एक हि सुदामा
रविवार, 16 दिसंबर 2012
जल रहा अलाव
जल रहा अलाव आज
लोग भी होंगे वहीं
मन की पीर –भटकनें
झोंकते होंगे वहीं
कहीं कोई सुना रहा
विषाद की व्यथा
लोग भी होंगे वहीं
मन की पीर –भटकनें
झोंकते होंगे वहीं
कहीं कोई सुना रहा
विषाद की व्यथा
जल रहा अलाव
जल रहा अलाव
****
जल रहा अलाव आज
लोग भी होंगे वहीं
मन की पीर –भटकनें
झोंकते होंगे वहीं
कहीं कोई सुना रहा
विषाद
****
जल रहा अलाव आज
लोग भी होंगे वहीं
मन की पीर –भटकनें
झोंकते होंगे वहीं
कहीं कोई सुना रहा
विषाद
जल रहा अलाव
जल रहा अलाव
****
जल रहा अलाव आज
लोग भी होंगे वहीं
मन की पीर –भटकनें
झोंकते होंगे वहीं
कहीं कोई सुना
****
जल रहा अलाव आज
लोग भी होंगे वहीं
मन की पीर –भटकनें
झोंकते होंगे वहीं
कहीं कोई सुना
बस बारातियों का स्वागत पानी पिलाकर किजिएगा
एक लड़का लड़की को देखने आया
थोड़ा मुस्कुराया फिर शरमाया
शरमाते हुए एक परचा
लड़की को थमाया
लड़की परची को
थोड़ा मुस्कुराया फिर शरमाया
शरमाते हुए एक परचा
लड़की को थमाया
लड़की परची को
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
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