धन वैभव की चकाचौंध में
महत्वपूर्ण काम क्यों भूल गये।
जिसकी कृपा से ऐश्वर्य मिला
वो राम नाम क्यों भूल गये।
जीवन रेत का ताजमहल है
कब ढह जाये खबर नहीं।
बस हाथ मलते रह जाओगे
तुम अभी जो जागे अगर नहीं।
अपनी दिन-रात की मेहनत में
प्रभु की एक शाम क्यों भूल गये।
जिसकी कृपा से ऐश्वर्य मिला
वो राम नाम क्यों भूल गये।
पाने को तो पा ली तुमने
मंजिल अपने अरमानों की।
मगर बुनियाद खोखली ही रही
तेरे आलीशान मकानों की।
मय,माया,मन के गुलाम बन
माटी है तन,अंजाम क्यों भूल गये।
जिसकी कृपा से ऐश्वर्य मिला
वो राम नाम क्यूँ भूल गये।
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