बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

देश हमारा वतन हमारा

(बालगीत)

देश हमारा, वतन हमारा
सारे जग में अच्छा है
बाग हमारा, चमन हमारा
सारे जग में महका है।

ऊँची ऊँची पर्वतमाला
कलकल बहती नदियाँ हैं
सागर की लहरों से उठती
मस्त हवा की खुशियाँ हैं
पेड़ों की शाखों पर गाती
तरह तरह की चिड़ियाँ हैं
प्रकृति ही खुद बता रही है
वतन हमारा न्यारा है
देश हमारा, वतन हमारा

सारे जग में अच्छा है
बाग हमारा, चमन हमारा
सारे जग में महका है।

गंगा जमुना की यह धरती
स्वर्ग सरीखी लगती है
नर्मदा की धारा सुन्दर
सरल सलोनी लगती है
हर नदियों के जल कण की
शान निराली लगती है
और हिमालय बता रहा है
शीश हमारा ऊँचा है
देश हमारा, वतन हमारा

सारे जग में अच्छा है
बाग हमारा, चमन हमारा
सारे जग में महका है।

खेतों खलिहानों में इसके
खुश लहराती फसलें हैं
हरी भरी हर क्यारी देखो
जिसे सींचती नहरें हैं
माटी इसकी महक रही है
जिससे हम सब महकें हैं
जीवन पाना इस मुल्क में
सारे जग से अच्छा है
देश हमारा, वतन हमारा

सारे जग में अच्छा है
बाग हमारा, चमन हमारा
सारे जग में महका है।

वेद पुराणों में जन्मी जो
वही संस्कृति अपनी है
युगों युगों से ख्याति हमारी
हर कोने में दमकी है
धर्म कर्म की बात अनूठी
इसी वतन में पनपी है
इसी ज्ञान के कारण जग में
नाम वतन का ऊँचा है
देश हमारा, वतन हमारा

सारे जग में अच्छा है
बाग हमारा, चमन हमारा
सारे जग में महका है।

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