(बालगीत)
किसी शहर से बंदर पढ़कर
जब जंगल में आया
तब उसने आँगन में अपने
एक स्कूल खुलवाया
सारे पक्षी] सारे बच्चे
दौड़ दौड़ कर आये
पीपल के पत्तों पर लिखने
पेन साथ भी लाये
भरी क्लास में तब बंदर ने
अपनी पोथी खोली
शोर मचाया सब बच्चों ने
बोली अपनी बोली
मुर्गे के पंखों को गिनकर
गणित समझ में आयी
तोते से नित रटना सीखा
भाषा सुन्दर पायी
जग भर का इतिहास बताने
टिड्डीदल उड़ आया
भूगोल पढ़ाने हाथी भी
पृथ्वी बनकर आया
विज्ञान की बातें करने तब
चिम्पेंजी आगे आया
कम्पूटर पर उल्लू ने भी
चुहा एक दबोचा
चमगादड़ ने डिग्री बाँटी
बैचलर आफ जंगल
सबके पढ़-लिख लेने से ही
हुआ सभी का मंगल।
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Read Complete Poem/Kavya Here जंगल की स्कूल
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